@टिल्लू शर्मा◾टूटी कलम डॉट कॉम# रायगढ़….बढ़ती बेरोजगारी,महंगाई,अशिक्षित होने पर कमाई करने का सबसे सस्ता,सुरक्षित उपाय है। किसी भी नाम की माईक आई डी रखना,पत्रकार का कार्ड लटकाकर कहीं भी घुस जाना और सवालों की झड़ी लगाकर प्रभाव जमाना और बाद में सेटलमेंट के लिए फोन लगाकर धनराशि की मांग करना एवं मामला सेटलमेंट न करने पर खबरों को वायरल कर देने की धमकी चमकी देना इन दिनों ट्रेंड बन गया है। काला अक्षर भैंस बराबर समझने वाले भी माईक आईं डी थामे किसी भी गांव में,किसी भी सरपंच,सचिव,मंत्री,विधायक के यहां किसी भी सरकारी दफ्तरों में आते जाते निकलते-घुसते यत्र तत्र सर्वत्र देखे जा सकते है। टूटी कलम
मध्यम रेंज का मोबाईल हांथो में थामे,बैग लटकाए,वाहन पर “प्रेस” “PREES” लिखवाए लोग बड़ी ही निश्चिंतता से भ्रमण करते कहीं भी दिख जाते है। कोई धोबी या प्रिंटिंग प्रेस वाला भी प्रेस लिखवाकर आराम से घूम फिर सकता है। इस शब्द में इतनी ताकत है कि पुलिस प्रशासन भी जांच के नाम पर कोई रिश्क लेना नही चाहता। जबकि अवैध कार्यो को अंजाम देते कई वाहन पकड़े जाते है। जिन पर प्रेस लिखा होता है। वाहन पर प्रेस लिखवाने के कोई मापदंड न होना गले की फांस बनते जा रही है। यदि किसी भी वाहन पर प्रेस लिखा हो तो सम्बन्धित प्रेस का नाम भी अंकित होना चाहिए। टूटी कलम
पिछले दिनों धरमजयगढ़, सारंगढ,भूपदेवपुर पुलिस ने फर्जी पत्रकारो को पकड़ा गया है। जो कि प्रेस के नाम पर जबरिया उगाही में लिप्त पाये गए थे। इसी तरह से अवैध पदार्थो की तस्करी करते वाहनों पर भी प्रेस लिखा हुआ पाया जा चुका है। टूटी कलम
सरकार को भी इस दिशा में गाइडलाइंस बनानी होगी ताकि अवैध कार्यो पर अंकुश लग सके। वरना हर घर मे भगतसिंह तो नही परन्तु ब्लैकमेलर अवश्य जन्म लेने लगेंगे।पढ़ लिखकर कुछ तो बन नही सकते इसलिए 5वीं,8वीं फेल होकर भी पत्रकार बनकर घर खर्च तो निकाल ही सकते है। इसके लिए भले ही अवैध कार्य करना पड़े या फिर उद्योगपतियों,अधिकारियों, व्यपारियों का गला ही क्यूँ न चिपना पड़े। पकड़े जाने पर आखिरी सजा 5,7 दिनों की जेल ही तो होगी। टूटी कलम







