🔥 टिल्लू शर्मा ✒️टूटी कलम रायगढ़ छत्तीसगढ़ 30 मार्च को निकलने वाली राम शोभायात्रा में विघ्न डालने का प्रयास कुछ तत्वों के द्वारा किया गया। जिसके द्वारा शहर के सट्टा व्यवसायियों के बैठक में शामिल होने पर आपत्ति दर्ज करते हुए स्वयं को राजा हरिश्चंद्र बनाने का प्रयास किया गया। रामनवमी शोभायात्रा समिति के द्वारा गहन मंथन के पश्चात यह निर्णय लिया गया की किसी भी सट्टा व्यवसाई से चंदा नहीं लिया जाएगा और ना ही रसीद काटी जाएगी। इसका तात्पर्य हुआ के यदि कोई शोभा यात्रा के लिए गुप्त दान देता है तो उसे समिति के द्वारा मंजूर किया जाएगा साथ ही निकलने वाली शोभायात्रा के दौरान शहर के किसी भी मार्ग में सट्टा व्यवसायियों के द्वारा जुलूस में चल रहे राम भक्तों का स्वागत सत्कार अपनी क्षमता के रूप में किया जा सकता है । जिसमें आयोजन समिति को कोई आपत्ति नहीं होगी। सट्टा व्यवसायि चाहे तो राम शोभायात्रा के लिए धमाल पार्टी, बैंड बाजा, ढोल पार्टी, कर्मा पार्टी, डीजे, लाइटिंग, आतिशबाजी, फूलों की बरसात, जगह जगह आइसक्रीम, कुल्फी, ठंडा पानी, शरबत, फल फ्रूट, कोल्ड ड्रिंक, बिस्किट, चाय ,कॉपी दीपा आदि पर खर्च कर राम भक्त कहला सकता है। शोभायात्रा के मार्ग में बड़े-बड़े होर्डिंग्स, फ्लेक्स, बैनर आदि लगवा सकता है।
सट्टा व्यवसाई ने बताया की शहर की सभी धार्मिक, सामाजिक संस्थाओं में कबाड़ माफियाओं, कोल माफियाओं, भू माफियाओं, शराब माफियाओं के द्वारा लंबा चौड़ा दान दिया जाता है। इस तरह के लोग समाज में शहर में समाजसेवी धार्मिक प्रवृत्ति के कहलाते हैं। लेकिन इनके द्वारा दान देने पर सेवा करने पर किसी को क्यों आपत्ति हो रही है। जिसका कारण आपसी प्रतिस्पर्धा या फिर चिढ़, खीज, जलन, हो सकती है। शोभायात्रा में अपनी सहभागिता दर्ज करवाने वाले 53 समाज में क्या सट्टेबाज,पट्टी बाज, सकल कर्मी शामिल नहीं होते हैं। सट्टेबाज किसी को सट्टा खेलने के लिए आमंत्रित नहीं करता है, जुआ खेलने के लिए पीले चावल नहीं दिए जाते हैं, शराब पीने के लिए गिलास किसी के मुंह से जबरन नहीं लगाया जाता है। सबके अपने अपने व्यवसाय करने के तरीके होते हैं यदि व्यवसाय में बेईमानी का प्रतिशत ना मिलाया जाए तो खाने के लाले पड़ सकते हैं।
