रायगढ़——- मांड नदी और महानदी रेत तस्करों के लिए कामधेनु बनी हुई है। जिसका दोहन कांग्रेस सरकार आने के बाद सरपंच से लेकर मंत्री स्तर तक के लोगो की मिलीभगत से किया जा रहा है।बगैर लागत लगाये मोटा धन कमाने का यह सबसे कारगर व्यवसाय है। मांड एवं महा नदी के कई किनारे एवं जंगली मार्ग रेत निकासी के नये नये स्थल बन रहे है। दर्जनों कांग्रेसी जनप्रतिनिधि इस खेल में शामिल है कई बड़े नेताओं के संरक्षण में यह व्यवसाय दिन दुगनी रात चौगुनी तरक्की कर रहा है।
तारापुर,उच्चभिठ्ठी,गेजामुड़ा तो इस कार्य के लिए कुख्यात है ही यहां पर राम-राम,नमो-नमो,राजयोग की तूती बोलती है। जिसका कारण सबकी समझ मे आता है। 15 साल के बाद सत्ता मिलने पर कार्यकर्ता भूखे ब्राह्मण की तरह खाने पर टूट पड़ने वाली मुद्रा में आ गये है। इन दिनों रानीगुड़ा क्षेत्र रेत माफियाओं के लिये मुफिक क्षेत्र बना हुआ है। बतलाया जा रहा है कि यहां से रेत निकालने के नाम पर सरपंच 200₹ प्रति ट्रेक्टर नजराना लेता है। जहां से रेत को निकालकर सांगीतराई में डंप किया जाकर रेत की ऊंचे दामो में बिक्री की जाती है। मजेदार बात यह है कि इस कार्य मे लिप्त जो ट्रेक्टर चलते है। उन पर कोई नम्बर प्लेट नही होती साथ ही ड्राइवरों के पास ड्राइविंग लाइसेंस भी नही होता है। दिन दहाड़े छातामुड़ा बाईपास मार्ग से रेत की अफरा तफरीह होती है और खनिज विभाग, पुलिस को इसकी जानकारी न हो यह अविश्वासनीय ही कहा जा सकता है। क्रमशः—– लगातार अगले अंक में नामो का खुलासा फोटो सहित किया जायेगा।