@टिल्लू शर्मा▪️टूटी कलम डॉट कॉम# रायगढ़…. जैसे जैसे विधानसभा चुनाव निकट आते जा रहे है। वैसे वैसे राजनीतिक दलों ने जोड़तोड़,करनी एवं उम्मीदवारों की कुंडली खंगालनी शुरू कर दी है। सत्ता में 15 साल के बाद आई कांग्रेस पुनः वापसी के लिए साम,दाम,दंड,भेद,की नीति अपनाकर केवल उन्हीं चेहरो को टिकट देना चाहेगी। जिनपर चुनाव जीतने की शत प्रतिशत उम्मीद हो। इसलिए इस दफे भारी फेरबदल होने की प्रबल संभावना है। जिसके लिए मंथन शुरू हो चुका है। टूटी कलम
रायगढ़,धरमजयगढ़ में प्रत्याशी बदले जाने की संभावनाएं क्षीण….जिला मुख्यालय रायगढ़ की सीट को लेकर संशय बरकरार है क्योंकि सता मिलने के बाद सब कांग्रेसी भविष्यनिधि बनाने के अतिरिक्त और कुछ न किये न ही बढ़ती महंगाई,पेट्रोल, डीजल,रसोई गैस,खाद्यान्न, आदि को लेकर धरना,प्रदर्शन कर केंद्र सरकार को घेरकर जनता का समर्थन हासिल करने का प्रयास कर रहे। जिससे लगता है कि कांग्रेसी भी नरेंद्र मोदी के कार्यकाज से संतुष्ट है। रायगढ़ विधानसभा से कांग्रेस से एक भी ऐसा चेहरा इतने वर्षों में सामने नही आ पाया जो मतदाताओ के लिए जाना पहचाना और तेजतर्रार हो, वर्तमान विधायक प्रकाश नायक लगातार आमजनो के बीच पहुँचकर अपनी उपस्थिति दे रहे है। इन्हें अपने पिता के नाम का भी सहारा मिला हुआ है।प्रकाश अब मंजे हुए नेता बन चुके है। उन्हें जरूरत है अपने आसपास के बदनाम सलाहकारों को बदलने की जिन्हें बदलकर बड़ी पंचायतो के सरपंचो को सांथ लेकर चलने की शहरी सलाहकारों की सलाह पर नायक वार्ड पार्षद भी न बन पाए। धरमजयगढ़ विधायक लालजीत सिंह का कोई फिलहाल कोई विकल्प कांग्रेस के पास नही है। टूटी कलम
खरसिया विधानसभा…में पिछली बार कांग्रेस के 20 हजार वोट घट जाना जरूर चिंता का विषय हो सकता है क्यूंकि ओ पी चौधरी ने कांग्रेस के परम्परागत वोट बैंको पर सेंध लगा दी है। वह तो ओ पी का दुर्भाग्य कहें या सौभाग्य की छत्तीसगढ़ के कद्दावर भाजपा नेताओ ने तिजोरी का मुंह खोलकर इन्हें हराने में अहम भूमिका अदा की गई क्योंकि उनके मन मे डर समाया था कि यदि ओ पी चुनाव जीत गए और सरकार भाजपा की बन गई तो वे मुख्यमंत्री पद के प्रथम दावेदार के रूप में सामने अड़ जायेंगे। उमेश पटेल दुबारा विधायक बने मगर उन्हें पिछली बार की तुलना में 20 हजार वोट कम मिले जो सोचनीय विषय है। जानकार लोग कह रहे है कि यदि इस दफे भी उमेश का मुकाबला ओ पी से हो जायेगा तो उमेश की जीत पर संशय निश्चित है। उमेश से उनके पिता स्व.नंदकुमार पटेल से जुड़े बुजुर्ग,अधेड़ों की पीढ़ी खासी नाराज चल रही है। दूसरा कारण नंदेली हाउस में ऐसे लोगो का जमावड़ा लगा रहता है और ऐसे लोगो की बात सुनी समझी जाती है जो एक वोट भी दिलाने की कुब्बत नही रखते। वे उमेश पटेल से महज आर्थिक फायदे ठेके,परमिट,टेंडर,सप्लाई के लालच के कारण जुड़े है। मामा-भांजे की जोड़ी की पौ बारह हो रखी है। जिन्हें कभी कभार भाजपाईयो से गलबहियां होते देखा जा सकता है। जो मीडिया तक के मैनेजमेंट करने के नाम पर अपनी जेबें गर्म करने एवं सरकारी नौकरी पाने के आस में दरबारी बने हुए है। इन सब कारणों से आलाकमान भी वाकिफ हो चुके है। इसलिए इस दफे उमेश का चुनाव क्षेत्र बदलकर खरसिया विधानसभा से स्व.दिनेश पटेल की पत्नी भावना पटेल को टिकट दिए जाने की चर्चा सरगर्म है। उमेश पटेल की जीत का श्रेय भी भावना पटेल को ही दिया गया है। जो चुनाव के एन वक्त पर उमेश के लिए वोट मांगने घर से बाहर निकलकर सघन जनसम्पर्क में लग गई थी। जिस वजह से महिलाओं एवं युवाओ के वोट उमेश के पक्ष में बदल गए थे। टूटी कलम
सारंगढ़ विधानसभा…से पदमा घनश्याम मनहर को टिकट दिया जाना फाइनल माना जा रहा है क्यूंकि पदमा घनश्याम मनहर लगातार जनसम्पर्क से जुड़े हुए है। सारंगढ़ को जिला बनवाने में इन्होंने कोई कसर नही छोड़ी थी। पदमा मनहर को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया जाना उनके प्रभाव को कारण माना जा सकता है एवं इनके नाम की सहमति पर कांग्रेसी भी एक प्लेटफॉर्म पर आ सकते है। टूटी कलम
लैलूंगा विधानसभा…इस विधानसभा के विधायक अपनी कार्यशैली की वजह से काफी अलोकप्रिय हो चुके है। इनको उद्योगपतियों का पिठ्ठू एवं कोयला माफिया का संरक्षक माना जाता है। जिस वजह से मतदाताओ में इनके प्रति जबरदस्त आक्रोश देखा जा रहा है।इस विधानसभा से विधायक की टिकट कटनी सुनिश्चित मानी जा रही है। टूटी कलम







