✒️ टिल्लू शर्मा टूटी कलम रायगढ़…प्रदेश में निकाय चुनाव तूफान की तरह से आये और हवा की तरह से चले गये और जाते कइयों का राजनीतिक भविष्य समेट कर ले गए या सवालिया निशान खड़ा कर गए। मगर हम प्रदेश स्तर पर माथापच्ची न कर केवल रायगढ़ जिले के सारंगढ़ नगर में सपन्न हुए चुनाव का विश्लेषण करेंगे। जहां से कांग्रेस के कुछ दिग्गजो को मिली पर हार अब तक किसी को यकीन ही नही हो रहा है। टूटी कलम

वार्ड नं 1 की सीट को पूरे जिले में सबसे हॉट सीट माना जा रहा था क्योंकि इस वार्ड से कांग्रेस की निष्ठावान समझी जाने वाली सरिता मल्होत्रा चुनावी मैदान में उतरी थी एवं सरिता की जीत सुनिश्चित मानकर उनका नगर पालिका अध्यक्ष बनना भी तय माना जा रहा था परन्तु सरिता की जीत से कई लोगो के हाजमे खराब हो जाते। इसलिए उनके विरुद्ध वार्ड के ऊर्जावान चेहरे कमलकांत निराला को तथाकथित कांग्रेसियो ने उतार कर पार्टी के सांथ भितरघात कर देना जनचर्चा है। शायद चुनाव जीतने के बाद सरिता का राजनीतिक रशुख इस कदर बढ़ जाता कि आने वाले विधानसभा चुनाव में सरिता की विधायकी दावेदारी प्रथम स्थान पर होती। जिसे कांग्रेस के राजनीतिक चाणक्य भलीभांति समझ रहे थे। इसलिये एक तीर से दो शिकार कर डाले गए। सरिता को कांग्रेस से पार्षद की टिकट भी मिल गई,चुनाव भी हरवाया गया,पालिका अध्यक्ष बनने का ख्वाब भी पूरा न हो सका,विधायक टिकट की मांग करने की हसरत भी अधूरी रह गई और सरिता के विरोधी सफल हो गए। टूटी कलम

सरिता ने चुनाव में किये गए भीतरघात की शिकायत मंत्री उमेश पटेल,मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम,मंत्री शिव डहरिया, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम,मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आदि को लिखित एवं नामजद करने के समाचार है। मगर अब सरिता को राजनीतिक कैरियर बनाने की शुरुआत वहीं से करनी होगी जहां से की गई थी। भले ही कांग्रेस आलाकमान किसी भी विभाग की जिम्मेवारी सौप दे ,चाहे एल्डरमैन बना कर सरिता की नाराजगी दूर करने लॉलीपॉप नियुक्ति कर दे परन्तु अब वह रशुख नही रहेगा जो एक जनप्रतिधि का होता है। टूटी कलम
वही कांग्रेस के पूर्व पालिका अध्यक्ष ईश्वर देवांगन को भाजपा के मयूरेश केशरवानी ने तगड़ी शिकस्त देकर सनसनी फैला दी तो वहीं अमित तिवारी (रिंकू) ने जिले के कद्दावर समझे जाने वाले कांग्रेसी नेता सूरज तिवारी (महाराज) की अर्धांगिनी प्रभा तिवारी को हराकर कांग्रेस की चलती लहर पर सवालिया निशान खड़े कर इनके रशुख को कम अवश्य कर भाजपा का सूपड़ा साफ होने से बचा लिया अन्यथा 15 सीटों में कांग्रेस को मिली 11 सीट का आंकड़ा 15 में 14 हो जाता। टूटी कलम
सत्येंद्र बरगाह, अमित तिवारी,मयूरेश केशरवानी ने रखी भाजपा की लाज तो वहीं कांग्रेस के बगावती निर्दलीय कमलकांत निराला की वजह से कांग्रेस में भीतरी घमासान मचा ..सारंगढ को जिला बनाने की घोषणा कर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की घोषणा के बाद ठेकेदार,व्यवसायी एक हो गए जिस वजह से भाजपा को मुंह की खानी पड़ी। भाजपा की सांसद,राजनीति में उतरे पूर्व कलेक्टर ओ पी चौधरी,जिला भाजपा अध्यक्ष उमेश अग्रवाल की अपील को मतदाताओ ने नकार दिया। चुनाव प्रभारी अमर अग्रवाल को बनाकर बीजेपी ने अपनी स्वयं की गोभी डाली थी। कांग्रेस के चुनाव प्रभारी शंकरलाल अग्रवाल ने भरपूर धन लुटाया अरुण मालाकार की युवा टीम ने कांग्रेस को जीत का स्वाद चखवा दिया। यदि कांगेस प्रत्याशी चयन में थोड़ी और गम्भीरता दिखलाती तो सारंगढ में कांग्रेस की 15 में से 15 वार्डो में जीत सुनिश्चित थी। टूटी कलम
4 वार्डो में विकास कार्य होंने पर लगा बेरियर…. अब चूंकि स्थिति स्पष्ट हो चुकी है कि अब 5 साल पालिका में कांग्रेस की सरकार रहेगी। जिला बनने जा रहे सारंगढ के 4 वार्डो में कांग्रेस प्रत्याशी की हार के बाद उतना विकास शायद ही हो पायेगा। जितना होना चाहिए। कांग्रेस के जीते वार्डो में विकास के पंख लगने से इंकार नही किया जा सकता। टूटी कलम