✒️ टिल्लू शर्मा टूटी कलम रायगढ़…तीन वर्षों से सिजनली बीमारी सर्दी,खांसी,बुखार,बदन दर्द ने दुनिया मे कोहराम मचा रखा है। इसके रिसर्च करने पर सामने ये लक्षण बतलाये गए कि सोशल डिस्टेंसिन्ग रखो सोशल मतलब समाजिक दूरी रखो यह समाज मे जहर बोने का कार्य है। तू न हिन्दू बनेगा,न मुसलमान बनेगा,इंसान की औलाद है इंसान बनेगा को झुठलाने का कार्य है।मुंह पर मास्क लगाओ का अर्थ है निकलो न बेनकाब जमाना खराब है,प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ चुका है कि नाक से सांसे लेने पर मिनी माइक्रो कण सीधे फेफड़ों में पहुंचकर इंसान को सर्दी,खांसी,आस्थमा आदि का रोगी बना रहा है। बार बार साबुन से हांथो को धोना,सेनेटाइजर का इस्तेमाल करने का अर्थ है। हिंदुस्तानी सभ्यता परिचितों को हांथो को जोड़ना एवँ राम राम,नमते,प्रणाम करना है न कि हांथ मिलाना है। टूटी कलम
अपने आसपास, जान पहचान,करीबी,रिश्तेदारो,दोस्त यारो,पड़ोसियों में यदि उक्त लक्षण दिखलाई दे तो उससे दूरी न बनाकर उसकी मदद करें ईलाज करवाने,टिका लगवाने,घर पर रहने,गर्म पानी,चाय में तुलसी,लौंग,अदरक,काली मिर्च डालकर सेवन करने,रोजाना योग करने,काढा बनाकर पीने आदि की मशविरा देवें। यह जरूरी नही है कि आपसे बात करने वाला कोविड़ पॉजिटिव होगा,हो सकता है। वह भी आपको पॉजिटिव समझकर दूरियां बना रहा होगा। यह है सोशल डिस्टनसिंग का भ्रामक फैलाव। गर्म पानी की भांप लेवें वर्किंग फ्रॉम होम का पालन करें। अनावश्यक भीड़ भाड़ वाली जगहों पर न जावें। कोविड़ ने इतना जरूर सिखला दिया कि बगैर प्रदर्शन,दिखावे,आडम्बर के जन्म से मृत्यु तक के सारे कार्य बगैर भीड़ जुटाए भी संपन्न किये जा सकते है। टूटी कलम







