कहते है मनुष्य को चक्की का पिसा खाना चाहिए।दांतो का पिसा खाने से तकलीफ होना वाजिब है। लोगो के चढ़ाने पर पुलिस कर्मचारी सिंघम बन जाये तो उसका पतन होना भी निश्चित है। जब भी थानेदार आशीष वासनिक ने कोई पुलिसिया कार्यवाही की तो मीडिया उसको इतने जबरदस्त तरीके से हाइलाइट करती है कि मानो वासनिक ने जो किया है।उसे कोई अन्य नही कर सकता। मीडिया के माध्यम से सुर्खियों ने बने रहना उनका शौक ही कहा जायेगा। पुलिस वालों का कार्य ही अपराध पर नियंत्रण रखने का होता है।वासनिक ने ऐसा कोई कार्य आज तक नही किया सिवाय मीडिया में बने रहने के लिए की जिसे याद रखा जा सके। सरिया क्षेत्र तो अपराध का जरिया है। जहां से तमाम तरह के असमाजिक कार्यो का मार्ग निकलता है। अब वहां अंजना केरकेट्टा थानेदार ताबड़तोड़ कार्रवाई कर सुर्खियां बंटोर रही है।
सारंगढ़,खरसिया ऐसे विधानसभा, थाना क्षेत्र है जहां राजनीति लोगो के सर चढ़ कर बोलती है।वासनिक के सारंगढ़ पदास्थापना के बाद कोई ऐसा मामला नही बन पाया कि उन्हें सिंघम कहा जा सके। जबकि सारंगढ़ से 2 तरफ से रायपुर जिले की सीमा एक तरफ से जांजगीर जिले की सीमा लगती है। बावजूद इसके बड़ी सफलता से वासनिक के हाँथ खाली है। रायगढ़ जिले का सबसे बड़ा सट्टे का नेटवर्क सारंगढ़ से संचालित होता है। जिसकी सीधे तौर पर नागपुर गद्दी से सेटिंग बतलाई जाती है।इस पर कोई कार्यवाही होती हो मानते की वाकई सिंघम है। इसी तरह पशुओं की तस्करी के लिये सारंगढ़ पूरे प्रदेश के अतिरिक्त महाराष्ट्र,बिहार तक मे जाना जाता है। आज तक पशु तस्करी पर सिंघम की नजरें क्यों नही पड़ी।
जिस तरह से सारंगढ़ के युवक ने थानेदार आशीष के ऊपर मारपीट कर हाँथ तोड़ देने के गम्भीर आरोप वीडियो के माध्यम से लगाये है। वह बेबुनियाद नही हो सकता। कोई सिरफिरा भी पुलिस से पंगा लेने के लिए दस बार सोचेगा। बरहाल इस वीडियो की कितनी सच्चाई है। वह जांच कमेटी से ही संभव हो सकता है। संवेदनशील पुलिस कप्तान संतोष कुमार सिंह फिलहाल अपने विभाग की साख बचाने के लिए क्या कार्रवाई करते है। यह देखना है। शिकायतकर्ता युवक एक समाज विशेष का है। यदि इसके समाज वाले एक हो जाएंगे तो स्थिति चिंताजनक हो सकती है। इस क्षेत्र में हांथी चलता है। जय भीम के अनुयायी सार्वधिक है।