टूटी कलम रायगढ़ जिले का बहुचर्चित, विश्वसनीय, पाठको की पहली पसंद नंबर वन के पायदान पर न्यूज वेब पोर्टल “टूटी कलम” अपनी लोकप्रियता की वजह से छत्तीसगढ़ स्तर पर जाना पहचाना जाने लगा है. संपादक निडर,निष्पक्ष,निर्भीक, बेबाक,बेखौफ, असलियत से नाता रखने वाला, लेखक, चिंतक, विचारक, विश्लेषक, व्यंग्यकार,स्तंभकार,कलमकार, माता सरस्वती का उपासक, लेखनी का धनी, कलम का मास्टरमाइंड चंद्रकांत (टिल्लू) शर्मा रायगढ़ छत्तीसगढ़ 83192 93002
🎤 टिल्लू शर्मा ✒️टूटी कलम रायगढ़.. पिछले एक सप्ताह के अंदर रायगढ़ के आसपास चार सड़क दुर्घटनाओं में सात लोगों की मृत्यु हो जाने की वजह से लोगों के अंदर पुलिस के प्रति गैर वाजिब आक्रोश उत्पन्न हो रहा है. अधिकतर सड़क दुर्घटनाओं में दुपहिया वाहन सवार ही काल कलवित एवं घायल होते हैं. जिसका सारा दोष भारी वाहन चालकों पर मढ दिया जाता है की हमेशा गलती बड़े वाहन चालकों की ही मानी जाती है. जबकि गलतियां अक्सर छोटे वाहन चालकों की होती है. दुपहिया वाहन चालक मोटरसाइकिल इतनी तेजी से और रफ टफ दौड़ाते हैं मानो साइकिल की रेसिंग प्रतियोगिता हो रही हो. दुपहिया वाहन में तीन– चार सवारी बैठाकर कर तीव्र गामी बना देना दुर्घटना का सबसे बड़ा कारण होता है. बहुत से मामलों में यह देखा गया है कि दुपहिया वाहन वाले पूरे परिवार मोटरसाइकिल में बैठाकर चार पहिया वाहन समझने लगते है। ऐसे में यदि किसी एक का भी बैलेंस बिगड़ता है तो दुर्घटना होना तय होता है. दूसरा अहम कारण यह होता है कि अधिकांश दुपहिया वाहन चालक नौजवान हुआ करते हैं जो शराब गांजे के नशे में मोटरसाइकिल को हेलीकॉप्टर बना दिया करते हैं. वे नेशनल हाईवे में भारी वाहनों को ओवरटेक करने में अपनी शान समझते है. इसी वजह से वे भारी वाहनों के पीछे जा घुसते हैं और मृत्यु हो जाने पर गलती बड़े वाहन चालकों की मान ली जाती है. उस समय लोगों की एकत्रित भीड़ यह मानने को तैयार नहीं होती है कि गलती छोटे वाहन चालक की थी.
इजी वाहन फाइनेंस है दुर्घटना की सबसे बड़ी जड़… व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा के दौर में फाइनेंस कंपनी वाले अपना फायदा देखते हुए बहुत कम डाउन पेमेंट पर भी वाहन फाइनेंस कर देते हैं. कंपनी वालों को इससे कोई मतलब नहीं रहता है कि जो व्यक्ति वाहन खरीद रहा है. उसका ड्राइविंग लाइसेंस बना है कि नहीं बना है. बगैर ड्राइविंग लाइसेंस बने वाहन फाइनेंस कर दुर्घटना की रसीद काट दी जाती है. फाइनेंस करने लिए आधार कार्ड बैंक की पासबुक मतदाता परिचय पत्र काफी माने जाते हैं इसमें ड्राइविंग लाइसेंस का कोई महत्व नहीं रहता है. इसलिए सरकार को चाहिए कि ऐसा कानून बना दिया जाए कि वाहन फाइनेंस करते समय ड्राइविंग लाइसेंस की अनिवार्यता होनी चाहिए. वाहन फाइनेंस करने वाली कंपनियों को अपने ब्याज से मतलब रहता है उनको यह मतलब नहीं रहता की जिसके नाम से वाहन फाइनेंस की जा रही है वह बालिक है या नाबालिक है.
परिवहन विभाग की लापरवाही… इन दिनों ड्राइविंग लाइसेंस बनाने का कार्य दलालों के माध्यम से होने लगा है.जो एक मोटी रकम लेकर किसी का भी काफी लाइसेंस बनवा दिया करते हैं. लाइसेंस बनाने में बाबू से लेकर अधिकारी तक का कमीशन फिक्स रहता है. परिवहन विभाग के द्वारा यह भी नहीं देखा जाता है कि जिसका लाइसेंस बनाया जा रहा है. वह वाहन चलाने में सक्षम है कि नहीं. उसके पैर जमीन तक पहुंच रहे हैं कि नहीं, उसकी आंखें कमजोर है या नहीं, उसे वाहन के क्लच, ब्रेक, एक्सीलरेटर,अपर डीपर,इंडिकेटर,हॉर्न आदि के बारे में पूरी जानकारी है या नहीं. दुपहिया वाहनों में कितने लोग सवार हो सकते है.दुपहिया वाहन चलाते समय सुरक्षा की दृष्टि से हेलमेट, जूते पहने जाने चाहिए इस विषय में ना तो फाइनेंसर बतलाता है और ना ही शो रूम वाले बतलाते हैं.
यातायात पुलिस की अनदेखी… सड़कों पर जितने भी छोटे-बड़े वाहन दौड़ रहे हैं उनके लिए बहुत सी चीजे अति आवश्यक होती होती है. जैसे की हेडलाइट आधी काली होनी चाहिए, वाहन चलाते समय अपर डीपर का उपयोग किया जाना चाहिए, पार्किंग लाइट होनी चाहिए, बैक लाइट, ब्रेक लाइट होना अति आवश्यक होनी चाहिए. वाहन की फिटनेस सही होनी चाहिए. अक्सर यह देखा जाता है कि डंपर, ट्रेलर, हाईवा,आदि बड़े वाहन ड्राइवर की अपेक्षा खलासी चलाया करते हैं. लाइट व्हीकल नौसीखिए नाबालिक बगैर लाइसेंस के वाहन चलाते हैं. इन सब कारणों से सड़क दुर्घटनाओं में वृद्धि होती जा रही है. स्कूल के बच्चे धड़कल्ले से दो पहिया वाहन में काफी तेज गति से स्कूल आना-जाना करते हैं. जिनका ना परिजन मना करते हैं ना स्कूल वाले मना करते हैं और ना ही ट्रैफिक वाले रोक कर जुर्माना, दुपहिया वाहन जप्त करते हैं. स्कूली बच्चे भी तीन-चार सवारी के बगैर वाहन नहीं चलाया करते हैं. लड़कियों को इंप्रेस करने का मकसद होता है. उनको स्कूलों की छुट्टी के समय ऐसा कभी भी देखा जा सकता है.
सड़क छाप नेतागिरी… दुर्घटना होने के बाद आस पास के लोग एकत्रित होने लगते हैं तो उनमें से कुछ सड़क छाप नेता किस्म के लोग नेतागिरी शुरू करते और सारा आरोप पुलिस के सर मढ़कर हीरो बनने का प्रयास कर 50 लाख रुपए के मुआवजे की मांग कर हीरो बनने का प्रयास और मृतक का हितैषी जतलाने में पीछे नहीं हटते है. जबकि सरकार के द्वारा 25 000 रुपया तात्कालिक मुआवजे के रूप में देने का प्रावधान है. दुर्घटना के बाद थाने का घेराव करना, अस्पताल का घेराव करना,नारे बाजी करने का चलन चल पड़ा है.
पुलिस के बंधे हांथ… छत्तीसगढ़ छोटा राज्य होने की वजह से यहां के लोग स्वयं को विधायक एवं मंत्री समझा करते हैं और पुलिस की तनिक भी चिंता नहीं करते हैं. यदि सरकार पुलिस को फ्री हैंड कर दे तो पुलिस दबाव से उबर जाएगी और फिर छूट भैया लोगों के नेता के लिए समाप्त हो जाएगी.







