शहर में कोरोना टेस्टिंग को लेकर भ्रांतियां उतपन्न हो गई है। लोगो के मोबाईल पर जांच रिपोर्ट कभी नेगेटिव भेजी जा है तो कभी पॉजिटिव भेजी जा रही है। जिससे लोग असमंजस की स्थिति में है कि आखिर सही रिपोर्ट किसे मानी जाये। कल जागरूक पत्रकार “अमित पांडेय” ने कायाघाट के 5 लोगो के मोबाईल पर कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट भेजे जाने पर सवाल खड़े कर सोशल मीडिया में शेयर किया तब जिला कलेक्टर से तड़ी पड़ने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने गलती सुधार कर पॉजिटिव बतलाया गया। लोगो की जान सांसत में है और स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी इसे तकनीकी त्रुटि बतलाकर अपना पल्ला झाड़कर गरीब कर्मचारियों पर आरोप मढ़ रहे है। कुछ इसी तरह से शशिकांत शर्मा की मृत्यु पर अखबारों में स्वास्थ्य विभाग की तरफ से विज्ञप्ति जारी की गई थी। यह विज्ञप्ति मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने की थी या मेडिकल कालेज के डीन ने की थी। इसका भी उल्लेख नही किया गया है। क्या वह विज्ञप्ति भी तकनीकी त्रुटि से जारी हो गई थी।
गत 29 तारीख को जिले के वरिष्ठ चिंतक,लेखक,कवि,स्वतंत्र पत्रकार शशिकांत शर्मा की मृत्यु हो गई थी। जिसे जांच के उपरांत कोरोना पॉजिटिव बतला था। कोविड 19 के नियमानुसार उनकी मृतदेह रातभर अस्पताल के मरचुरी में रखी गई थी और 30 तारीख को उनका अंतिम संस्कार 5 लोगो की मौजूदगी में शहर से बाहर ग्राम अमली भौना के निर्जन स्थान पर किया गया था। चूंकि उनका निधन कोरोना पॉजिटिव की वजह से बतलाया गया था। इसलिए लोगो के मध्य ख्यातिलब्ध कलमकार की अंतिम यात्रा में हुजूम नही उमड़ा था। साथ ही उनका क्रियाकर्म, कर्मकांड विधि विधान से न किया जा सका था। उनके निधन की खबर से उनके सारे करीबी जड़वत हो गये थे। सहसा किसी को एक बारगी तो विश्वास नही हुआ था। लोगो के मोबाईल फोन सक्रिय हो गये थे और एक दूसरे से उनकी मौत की जानकारी लेने देने लगे थे। पूरी मीडिया बिरादरी हतप्रभ हो कर अपने चहेते कलमकार के साथ किये गये तर्क,वितर्क की सोच में डूब गई थी।
29 तारीख को दोपहर 12 बजे से उनके पुत्र नवरतन शर्मा कोविड 19 एवं जिला अस्पताल में एम्बुलेंस भेजने की मिन्नतें करते रहे परन्तु कर्तव्यहीन लोगो ने उनकी आपातकाल व्यथा पर ध्यान नही दिया। लगभग 3.30 पर जिला चिकित्सालय की 108 उनको उनके घर से अस्पताल उस समय लाती है जब उनका आक्सीजन लेबल 35 पर आ जाता है। तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। 4.30 बजे “सिंहघोष” करने वाला सिंह शांत हो जाता है।
आज दोपहर लगभग 1.30 बजे उनके मोबाईल पर उनकी कोरोना की रिपोर्ट नेगेटिव होने का मैसेज आता है। जिससे कई तरह के प्रश्न स्वास्थ्य विभाग पर उठ खड़े हुए कि आखिर शशिकांत शर्मा की किस रिपोर्ट को सही मानी जाये। यदि वे जीवित रहते तो शायद इस प्रश्न का उत्तर मिल सकता था। अब तो उनकी मौत को कोरोना पॉजिटिव करार कर देना। स्वास्थय विभाग के हाथ मे है। मगर एम्बुलेंस देर से भेजने का कोई स्पष्टीकरण देना तर्कसंगत नही होगा।
शशिकांत की मौत के बाद मीडिया जगत में स्वास्थ्य विभाग के प्रति व्यापक आक्रोश है। प्रेसक्लब के अध्यक्ष हेमंत थवाईत,सचिव नवीन शर्मा सहित सदस्यों ने एवं प्रेस एशोसिएशन के अध्यक्ष रामचन्दर शर्मा ने शोक सभा आयोजित कर दिवंगत आत्मा की शांति के लिए 2 मिनट का मौन धारण कर अपने साथी की हुई मौत पर निष्पक्ष जांच एवं 1 करोड़ ₹ की क्षतिपूर्ति ,दोषियो पर कड़ी कार्रवाई करने के लिए जिला कलेक्टर के माध्यम से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नाम ज्ञापन सौपा है। मुख्यमंत्री ने भी अपने ट्यूटर एकांउट पर अपनी संवेदनाए शेयर की है।
अब यह देखना है कि मृतक शशिकांत शर्मा की आज कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट आने पर पत्रकार बिरादरी कितनी गम्भीरता से लेकर अपने साथी के प्रति सच्ची श्रध्दांजलि देता है।