रायगढ़—- प्रकृति से खिलवाड़ करने का नतीजा शनै शनै सामने आ रहा है कि जहां मानव एक तरफ जल,जंगल,जमीन पर अपना पैर पसार कर धरती से पेड़ पौधे विहीन करने पर तूल गया है तो दूसरी तरफ जंगली जानवर शहर की ओर रुख कर रहे है.जिससे जंगली जानवरों को तो कोई खतरा नही है क्योंकि ये सरकारी दामाद है.इनको मारना या प्रताड़ित करना जघन्य अपराध की श्रेणी में आता है जबकि इंसान को जानवर तंग करे तो इन जानवरों की आवभगत की जाती है.बाजा, फटाके, रौशनी की मदद से इन्हें बिदा किया जाता है.जहां पहले जंगल हुआ करते थे वहां अब कीलने धुँआ उगल रही है,जल स्त्रोतों का दोहन किया जा रहा है,खेत खलिहानों पर जनसुनवाई हो रही है,वन मंडल को तिलक कर लकड़ियों की तस्करी की जा रही है तो बेचारे मूक बधिर पशु किसकी कोर्ट में जाये.इंसान को उसकी औकात याद दिलाने यदा-कदा जनजीवन के बीच आ धमकते है तो यही जल,जंगल, जमीन के सौदागर अपने महफूज ठिकानों पर जा दुबकते है. आज ऐसा ही वाकया सामने आया कि गजराज का दल सपरिवार निगम क्षेत्र उर्दना में आकर लोगो को सावधान,सचेत कर वापस लौट गया.थोड़ा बहुत हरा भरा सुनील,सुशील रामदास के रामदास द्रौपदी देवी के बगीचे से पालक भाजी की सुगंध लेकर चेतावनी देकर लौट गया.उन्हें शायद मानव का रहन सहन रास न आया.
मगर यह आगाज है कि अब भी जंगली जानवरों के जंगलों का इंसान दोहन न करे अन्यथा ये शहर में अपना डेरा डाल कर जनहानि पहुचाने से गुरेज कदापि नही करेंगे.