पिछले साल इसी माह में कोरोना के वायरस ने दबे पांव देश मे दस्तक दे दी थी। जिससे बचाव के लिए हांथो को बारंबार धोना,मास्क पहनना,दूरी बनाकर रखना,अमिताभ बच्चन की भारी आवाज से कॉलर ट्यून से सन्देश प्रसारित किया जाना,जनता कर्फ्यू,लाकडाउन,जुर्माना,सिलबन्दी,थाली बजाना,अंधेरे में दिया जलाना आदि के सहारे लिए गए। वैक्सीन निर्माण पर जोर दिया गया। जिससे कोरोना का कहर कुछ कम हुआ तो इंसान पुनः सारे नियम, कानून, सुरक्षा भूलकर अपनी शैली में आकर खरगोश की तरह दौड़ने लगा और उधर कोरोना संक्रमण पुनः धीरे धीरे कछुए की तरह बढ़कर इंसान रूपी खरगोश से आगे निकलने लग गया। राजनेताओ ने एकदम से इस संक्रमण को भुलाकर चुनावी रैलियां करनी शुरू कर दी। विदेशो से आने वाले लोगो की थर्मल स्क्रीनिग करनी बंद कर दी।मानव जीवन पुनः अपने ढर्रे पर चलने लगा।
जैसे ही कोरोना ने पहली वर्षगाँठ मनाई। उसका आक्रमण दुगुनी गति से होने लगा। देश के कई राज्यो में इसने अपने पैर पसारने शुरू कर अपनी मौजूदगी का एहसास करवा दिया। देश के हालात एक बार फिर से कोविड 19 से जकड़ने जैसे होने लग गए है। कन्टेन्टमेंट जोन, लाकडाउन,144,थर्मल स्क्रीनिग, मास्क,सेनेटाइजर आदि पुनः प्रभावी किये जाने लगे है। इसे हम कोरोना की कछुए सी चाल मान सकते है। जो धीरे धीरे आगे निकलता जा रहा है।