रायगढ़—— जैसा नाम वैसा काम आमजनों के लिए इस दफे होली सरीखा हुल्लड़ बाजी,मस्ती,भंग की तरंग,शराब की गंध,गुलाल की गर्मी,रंगों की ठंडक,गाली गुफ्तारो की बौछार,वाला त्यौहार ऐतिहासिक रूप से संतोष पूर्ण ढंग से संतोष के साये में बीत गया। होली आई और चली गई। पूरे शहर में इक्का दुक्का घटी घटनाओं को होली पर्व के कारण घटित होना नही माना जा सकता।
पहली बार शहर की सड़कें रंगयुक्त पानी से बेरंग दिखी। बिजली,केबल के तारों पर चीरहरण कर फेके गए कपड़े टँगे नही दिखे। नगाड़े पीटकर हुड़दंग मचाने वाले बाइकर्स गधे की सींग की तरह नदारद रहे। शहर के चप्पे चप्पे पर संतोष जनक संतोष दिखा। जब नाम का ही ख़ौफ असर कर जाता है और संतोष रहता है तो यह सही मॉनिटरिंग करना कहलाता है।
जिले में पूर्व पुलिस अधीक्षको कापदेव,अग्निहोत्री,विश्वरंजन,डी एम अवस्थी,राहुल शर्मा,राहुल भगत आदि के बाद वर्तमान पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार सिंह का नाम एक अमिट नाम बन चुका है। उक्त नामो में से कुछ नाम अविभाजित मध्यप्रदेश के समय के पुलिस कप्तानों के है। संतोष कुमार सिंह जितने साधारण लगते,दिखते है हकीकत इसके ठीक विपरीत है। कलम वीरो की भी कलम की स्याही इनके विरोध स्वरूप तनिक भी लिखने हेतु सुख गई है।
कप्तान के रवैयों से प्रभावित जिले के सभी अनुविभागीय पुलिस अधिकारियों,थाना/चौकी प्रभारीयो,आरक्षणको तक मे इनके सख्त मिजाजी की संगत की रंगत का असर दिखाई पड़ रहा है।








