
टूटी कलम रायगढ़— वैसे मानवता एवं समाजसेवा के क्षेत्र में बहुत से लोग बहुत मदद एवं दान दक्षिणा देने में भी पीछे नही हटते है मगर कोई लोभी व्यक्ति संस्था संचालित कर रहा हो तो सारा दान दक्षिणा देने पर व्यर्थ हो जाता है। कहते है कि “मेहनत की कमाई,लुटेरों पर लुटाई” जिसे अपनी खुली आँखों से देखा जा सकता है *नंदा सर्कुलेशन* बड़गांव (तमनार) में
दिखावे के लिए तो यह मूक बधिर बच्चों का स्कूल है जिसे देखकर किसी भी भावुक इंसान की भावनाएं बच्चों की हालत देखकर जाग सकती है और वह इन बच्चों की मदद के लिए हाँथ आगे बढ़ाकर मुक्त हस्त से दान देने में पीछे नही हट सकता। लेकिन जो मदद बच्चों के लिए दी जाती है। उसका भरपूर फायदा संचालक उठाने से बाज नही आता।
हादसों को निमंत्रण दे रहा “नंदा सर्कुलेशन आश्रम”— सतही तौर पर देखा गया है कि इसके संचालक द्वारा इस तरह से आश्रम का संचालन किया जाता है कि आने जाने वालों की दृष्टि इसपर पड़ने के बावजूद परिलक्षित न हो सके।यह आश्रम मेन सड़क के किनारे है। जो चारो तरफ से खुला है। सामने मुख्य सड़क है। जिसपर भारी एवं हल्के वाहन की रेलमपेल लगी रहती है और यदि कोई मूक बधिर, मंद बुद्धि बालक सड़क पर दौड़ पड़े तो कभी भी हृदयविदारक घटना घटने से कतई मुंह नही मोड़ा जा सकता। पीछे की तरफ जंगल है। जहां जंगली जानवर भालू,जंगली सुअर देखे जा सकते है। इस आश्रम के नाम को दर्शाने वाले कोई संकेतक एवं बोर्ड आदि नही लगा है। बच्चों की सुरक्षा के लिए गार्ड आदि का भी नितांत अभाव है। जो क्लोज सर्किट कैमरे लगे है वे खराब हो चुके बतलाये जा रहे है। बच्चों के खेलने के लिए खिलौनों के नाम पर मात्र टुटी फूटी फिसल पट्टी ही है। ऐसा नही है कि इस आश्रम में धन का अभाव है।

मुक्त हस्त से दान देते है समाजसेवी संस्थाएं— इस मूक बधिर आश्रम को जे.एस. पी.एल. विधायक, समाजसेवी आदि सालाना लाखो रुपये की मदद करते है। प्रदेश एवं केंद्र सरकार के अतिरिक्त विदेशो से भी उक्त आश्रम को मोटी धनराशि उपलब्ध होती है फिर भी न जाने क्यूँ यह आश्रम अव्यवस्था का शिकार हो रहा है। रोटरी क्लब, लायंस क्लब, मारवाड़ी युवा मंच,जेसीज,लायनेस क्लब आदि भी इस आश्रम के प्रति अपनी नरम भावनाएं रखकर खानपान, खेल की सामग्री,कॉपी किताबें,कपड़े आदि देते ही रहते है। यदि इस आश्रम को मिलने वाली सहायता के रजिस्टर का अवलोकन किया जाये तो आंखें फटी की फटी रह जायेगी। यहां भारी रूप से घालमेल किये जाने की संभावना बलवती है।

लग्जरी कार में घूमने वाले इस आश्रम के संचालक को हमेशा नशे में टुन्न देखा जा सकता है। पहनावे से निहायत गरीब एवं भोला दिखने वाला संचालक रायपुर भी जाता है तो निज के वाहन से जाता है। बतलाया जाता है कि उक्त संचालक कई दफे सपरिवार विदेश भी घूमकर आ चुका है। आखिर खर्च करने के लिए वह इतने रुपये लाता कहां से है ? बतलाया जा रहा है कि उक्त संचालक दिल्ली साल में कई बार आना जाना करता है एवं वहां से नाना प्रकार के आइटम लाकर मूक बधिर बच्चों से बनवाता है। जिसे बाजारों में खपाता है।सूत्रों की मानें तो वह एल ई डी बल्ब बनाने के खोखे, आई सी,अलग अलग पार्ट्स मिट्टी के मूल्य पर लाकर बच्चों से बनवाकर आसपास के गांवों में खपाता है। इन कार्यो से होने वाली आय का कितना प्रतिशत बच्चों को दिया जाता है। यह एक अनुत्तरित प्रश्न है।

कलेक्टर भीम सिंह से जांच की अपेक्षा है— इस आश्रम की गहन जांच करवाई जानी चाहिए। जिले के तेजतर्रार, ऊर्जावान, संवेदनशील कलेक्टर भीम सिंह से लोगो को अपेक्षा है कि उक्त आश्रम के पिछले 5 सालों की आय-व्यय का लेखा जोखा एवं व्याप्त अव्यस्था का अवलोकन कर वनांचल क्षेत्र में हो रहे भर्राशाही पर लगाम कसे, हो सकता है कि उक्त आश्रम का रजिस्ट्रेशन मौके पर ही निरस्त हो जाये। जिला शिक्षा अधिकारी आर पी आदित्य,घरघोड़ा,लैलूंगा अनुविभागीय अधिकारी अशोक कुमार मारबल,सीमा पात्रे,तमनार जनपद सी ई ओ, के अतिरिक्त लैलूंगा विधायक चक्रधर सिदार,पंच,सरपंच, सचिव,समाजसेवी संस्थाएं,मीडिया कर्मीयो को भी चाहिए कि उक्त आश्रम की मनमानियों पर ध्यानाकर्षण करें।
