@टिल्लू शर्मा◾टूटी कलम डॉट कॉम# रायगढ़…….. प्रदेश के पुलिस उच्चाधिकारी को बदल कर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कौन सी चाल चल दी है। इसका खुलासा आने वाले कुछ समय बाद शायद हो जायेगा। प्रदेश के तेज तर्रार अनुशासन पसंद पुलिस महानिदेशक दुर्गेश माधव अवस्थी ने महकमे में सुधार लाने का भरसक प्रयास किया। समय समय पर वर्चुअल मीटिंग कर पुलिस महानिरीक्षकों,पुलिस अधीक्षको को सुधर जाने की चेतावनी देकर जुआ,सट्टा, गांजा,शराब,कबाड़,धान आदि पर नियंत्रण करने की चेतावनी दी जाती रही परन्तु मामले कम हो जाने की अपेक्षा बढ़ने लगे जिसका कारण पुलिस अधीक्षको का नरम रवैया रहा। जब जब पुलिस ने सख्ती अपनाई तब तब मुख्यमंत्री ने नरमी बरतने के आदेश जारी किये। टूटी कलम
मुख्यमंत्री के इशारों पर नाच रहे उच्च शिक्षा प्राप्त अधिकारी….प्रदेश के उच्च शिक्षित आई ए एस,आई पी एस अधिकारी मुख्यमंत्री के आदेशों पर कठपुतली के सरीखे नाच रहे है। इतना पढ़ना लिखना बड़ा ओहदा प्राप्त करना उस समय व्यर्थ लगने लग जाता है। जब राजनीतिक लोग अपने सामने इन अधिकारियों को आदेशित कर अपने मन की करने का दम दिखला देते है। इस ओर आई ए एस,आई पी एस लाबी को संगठित होकर वही कार्य करने चाहिए। जिसमें आम जनता सुरक्षित एवँ भय मुक्त रह सके। सरकारे तो आती जाती रहती है परन्तु आई ए एस,आई पी एस अवार्ड बने रहते है। इनकी शैक्षणिक योग्यता को तो कोई नही छीन सकता। भले ही सरकार किसी की भी रहे और मुख्यमंत्री कोई भी बन जाये। टूटी कलम
हंस चुगेगा दाना,दुनका कौव्वा मोती खायेगा…. दशकों पहले की गई उक्त रचना के कई मायने निकलते है। जिसे लोग अपने अपने विषय पर सैट कर सकते है। यह महान रचना जिसने भी की होगी आने वाले कल को समझते हुए की होगी। जो शब्द श सही बैठ रही है। जब ब्यूरोक्रेसी पर राजनीति हावी हो जाये तो जनता संकट में आ जाती है। अपराधीकरण पर नेताओ का संरक्षण प्राप्त हो जाने पर ब्यूरोक्रेट्स के हाँथ बंध जाते है। प्रदेश पुलिस जब कड़ाई कर कोविड 19 के नियम समझा रही थी। तब मुख्यमंत्री ने नरमाई के आदेश दिए थे। जब जिला प्रशासन लाकडाउन के समय दुकान खोलकर व्यवसाय कर रहे व्यवसाइयों पर गाज गिरा रही थी तब ऊपर से करवाई न करने के आदेश आ गए। बाजारों के खुलने एवँ बंद के सम्बंध में जिला कलेक्टरों के पाले में गेंद डाल दी गई। बाद में अच्छा कहलाने के लिए जिला प्रशासन के द्वारा जारी की गई गाइडलाइंस की धज्जियां सरका र ने उड़ा कर रख दी थी। टूटी कलम
जिला बिकता,थाना बिकता,चौकी बिकती,बिकते सारे लोग…यह आम नियम चल चुका है कि जिला पुलिस अधीक्षक को खुली बोली के दम पर जिले का प्रभार दिया जाता है। जिले के सभी थानों के प्रभार भी खुली बोली के अनुसार ज्यादा बोली लगाने वालों को दिया जाता है। हेड कॉन्स्टेबल का प्रभार भी कमाऊ,उगाहू को दिया जाता है। जब ऊपर यह चलता है तो निचले स्तर के आरक्षको के फेर बदल में भी यही प्रक्रिया कार्यशील रहती है। अगर प्रदेश में अमन,चैन,सुख,शांति,अपराध,डर ,भय,मुक्त का माहौल चाहिए तो सबसे पहले नीलामी (ऑक्शन) प्रकिया का खात्मा करना होगा। चुनाव पूर्व अपने चहेते अधिकारियों को अपने मनपसंद स्थान पर पदस्थ करना राजनीति की पुरानी परंपरा रही है। टूटी कलम