रायगढ़—–जिला प्रशासन,पुलिस प्रशासन, निगम प्रशासन द्वारा पिछले 15 दिनों से आम जनता को पोस्टर,बैनर,प्रचार वाहन,सोशल मीडिया,प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से लगातार जागरूक करने का भरसक प्रयास किया,मगर मूढ़,गंवार,जाहिल,निक्कमे,पृथ्वी के बोझ जैसे लोगो के दिमाग मे सक्रियता का कीड़ा नही रेंगा,विरासत में मिले संस्कारों का पालन ,जी हुजूरी से जीवन यापन करने वाले इस महामारी कोरोना को हल्के में ले रहे थे मगर प्रदेश की कई कालोनियों जैसे राजनांदगांव आदि में कोरोना के फैलाव को देखते हुऐ अंततः दूध से पानी को अलग करने की ठान पूरा सरकारी महकमा अपने नाम अनुरूप दिखा.
पुलिस एवं प्रशासन को मिल रही तरह तरह की अफवाहों से दो चार होना पड़ रहा था.कभी स्कूल का मुंह न देखने वाले लोग भी पुलिस पर अपने व्यवसाय की धमकी चमकी दे रहे थे । तब इनसे त्रस्त पुलिस को अपनी असली भूमिका में आना पड़ गया.
पैसे देकर नोकरी करने वाले लोग दलाल हो सकते है परन्तु मीडिया वाले नही । ऐसे लोगो को अब डर सताने लगा है कि पुलिस अब मौका देखकर चौका न मार सरेआम न धुन डाले.अपने समाज,मोहल्ले में पुलिस अधिकारियों के मैनजरों की भूमिका निभाने वालो को कल से बटालियनों के जवानों से सामना करना पड़ेगा.इन जवानों के आगे दादागिरी,भैया गिरी,भाऊ गिरी काम नही आने वाली पहले तो ये जवान फुलपैंट को आगे से गीली और पीछे से पीली कर देंगे. उसके बाद अपनी पुलिसिया पहुंच का इस्तेमाल करते रहो. अपने दोस्त यारो,समाज,कालोनी,आसपास दिखलाने वाला रशुख धरा का धरा रह जायेगा.अतः वे ही लोग घर से बाहर निकले जिन्हें वाकई जरूरत है वरना पुलिस की लाठी का शिकार बनने से कोई नही रोक सकता.
