@टिल्लू शर्मा◾टूटी कलम डॉट कॉम# रायगढ़…शनिवार को मणिपुर में माओवादियों की कायराना हमले की वजह से 6 लोग शहीद हो गए थे। जिनमें से रायगढ़ छत्तीसगढ़ के लाल कर्नल विप्लव त्रिपाठी 42 वर्ष उनकी अर्धांगिनी अनुजा त्रिपाठी 38 वर्ष एवँ उनके इकलौते पुत्र अबीर माओवादियों के द्वारा बनाये गए एम्बुश में फंसकर शहीद हो गए थे। उक्त घटना का समाचार रायगढ़ में आते ही पूरा शहर त्रिपाठी परिवार के घर पर उमड़ पड़ा था एवँ शनिवार से सोमवार तक शहर में मानो एक अजीब तरह की खामोशी सी छा गई थी। प्रत्येक आंखे शहर के लाडले विप्लव के अंतिम यात्रा की गवाह बनाना चाह रही थी। प्रत्येक मुख से जय हिंद,विप्लव त्रिपाठी अमर रहे बोलने को उतावलापन था। टूटी कलम
हवाई जहाज के आसमान में दिखते ही भारत माता जय के जयकारे प्लेन में आये सेना के जवानों तक को सुनाई दिया होगा। सुबह 11 बजे से ही हजारों की संख्या में लोग जिंदल एयरपोर्ट पहुंचने लगे थे। प्लेन से शहीद परिवार के शव उतारकर गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया एवं पुष्पचक्र,फूलमाला अर्पित कर श्रध्दांजलि दी गई । जिसके पश्चात सेना के खुले वाहन में शहीद परिवार की देह रखकर शहर रवाना हुई। टूटी कलम
सड़क के दोनों ओर से हो रही थी पुष्प वर्षा….एयरपोर्ट से शुरू हुई पुष्प वर्षा मुक्ति धाम तक चलती रही। वाहन में रखे शहीद परिवार की देह पर पतरा पाली से लेकर मुक्तिधाम तक सड़क के दोनों ओर भीड़ की शक्ल में खड़े जनसमुदाय अनवरत फूलों की बरसात कर रहे थे। टूटी कलम
रामलीला मैदान हुआ खचाखच फूल…जन दर्शन के लिए रखे गए शरीर पर पुष्प अर्पित करने हजारों की संख्या में लोग उपस्थित हुए। कई अरसे के बाद रामलीला मैदान में इतना बड़ा जनसमुदाय दिखलाई दिया। मैदान से सटे अगल बगल आमने सामने के भवनों पर भी लोग भीड़ लगाकर खड़े हुए थे। कलेक्टर,एस डी एम, पुलिस के अधिकारियो, सेना के अधिकारियों,मंत्री,विधायको,जनप्रतिनिधयो,रिश्तेदारों,हितैषियों,शुभचिन्तको,आमजनों के पुष्प अर्पित करने के बाद अंतिम सफर शुरू हुआ। टूटी कलम
सड़को पर हुई फूलों की बारिश…अंतिम पड़ाव की ओर बढ़ रहे शहीद लाडले विप्लव, अनुजा,अबीर के सम्मान एवं श्रध्दांजलि स्वरूप अर्पित किए गए फूलों से शहर की सड़कें पट गई। जिन जिन मार्गो से अंतिम यात्रा निकली मानो उन मार्गो पर प्रकृति ने फूलों की बरसात कर दी हो। लोगो अपने अपने घरों के ऊपर से फूल अर्पित कर श्रध्दांजलि दे रहे थे। टूटी कलम
सेना एवँ पुलिस के जवानों के छुटे पसीने मगर गर्व से सीना चौड़ा भी हुआ…जनसमुदाय को नियंत्रित करने में सेना एवँ पुलिस के जवानों को खासी मेहनत करनी पड़ी मगर लोगो के भीतर सैनिक के प्रति एवँ देशप्रेम की भावना देखकर असम राइफल्स के जवानों का सीना भी चौड़ा हो गया। वे लोगो को बहुत ही प्रेम से समझाइश देते रहे परन्तु रुआब नही झाड़ा। टूटी कलम
सहाब जयहिंद सुनकर हर आंखे रोई….अपने लाडले बुलू को अंतिम विदाई के समय माता आशा त्रिपाठी महज इतना ही बोल पाई सहाब जयहिंद जिसे सुनकर उपस्थित जनसमूह की आंखे नम हो गई। धन्य हो गई वह कोख जिसने बुलू सरीखे पुत्र को जन्म दिया। जननी जने तो एक जने परन्तु बुलु सरीखा जने। वृद्ध पिता सुभाष त्रिपाठी में भले ही अंदर से टूटन आई होगी परन्तु अपने पुत्र की अंतिम यात्रा में उमड़ी भीड़ ने उनको संबल प्रदान किया। उनका सर फख्र से ऊंचा हो गया। टूटी कलम
मुक्ति धाम में नही रही पांव रखने की जगह….शहीद विप्लव की देह को अंतिम संस्कार के लिए जब सर्किट हाउस के पास स्थित मुक्तिधाम लाया गया तब श्मशान में पांव रखने तक की जगह नही बची थी। लोग पेड़ो पर चढ़कर अंतिम संस्कार के साक्षी बना चाह रहे थे। सड़क के दोनो तरफ हजारों दुपहिया एवँ सैकड़ो चारपहिया वाहन खड़े थे। लोग जाम में भले ही फंसे रहे परन्तु इसे भी वे अपना सौभाग्य समझ रहे थे। दूसरी ओर मरीन ड्राइव सड़क का भी यही हाल था। टूटी कलम
स्वफूर्त बंद रहा पूरा शहर….देवउठनी एकादशी, तुलसी विवाह,श्याम जन्मोत्सव होने के बावजूद पूरा शहर शहीद विप्लव को श्रध्दांजलि देने के रूप में बंद रहा। लोग अपने अपने प्रतिष्ठान बंद कर शहीद विप्लव की अंतिम यात्रा के दर्शन करने इंतजार करते रहे परन्तु अपने प्रतिष्ठान नही खोले। शाबास रायगढ़ के व्यवसाई जिन्होंने जाहिर कर दिया की व्यवसाय से पहले देश है। टूटी कलम
कारवां गुजर गया,गुबार देखते रहे…. लोग धन को ही बड़ा समझकर अपना बड़े होने का मिथ्या भरम पाल लेते है। हकीकत में बड़ा वह होता है। जिसकी शवयात्रा के पीछे जन सैलाब चलता है। मरने के पश्चात कफन जिसका तिरंगा होता है। वास्तव में वही बड़ा होता है। टूटी कलम