✒️टिल्लू शर्मा “टूटी कलम” रायगढ़ की पैनी नजर….आगामी दिनों रायगढ़ के हृदय स्थल सुभाष चौक- स्टेशन रोड़ पर खुलने जा रही दवाई दुकान को लेकर लोगो मे भ्रम की स्थिति निर्मित हो रही है कि खुलने जा रही दवा दुकान का सही मायने में वास्तविक नाम लक्ष्मी मेडिकल स्टोर्स है या फिर सुनील मेडिकल स्टोर है। जैसा कि दुकान के बाहर लगे ग्लोसाइन बोर्ड में दिखलाई पड़ रहा है। टूटी कलम
ड्रग विभाग क्या आंखे मूंदे है… शहर के बीचों बीच जब यह आलम है तो गांव ,देहातो में ड्रग विभाग किस तरह की देखरेख निरीक्षण करता होगा। यह आश्चर्यजनक मुद्दा है। एक दुकान,एक दरवाजा, एक काउंटर,एक बिजली मीटर,एक फार्मासिस्ट, लाइसेंस एक,जी एस टी नम्बर एक,मालिक एक तो दुकान के बाहर लगे बहुत बड़े ग्लोसाइन बोर्ड में दो फर्मो के नामो का उल्लेख है। जो कि ड्रग विभाग की मिली भगत से ही संभव हो सकता है। एक ही स्थान के लिए 2 लाइसेंस देने का कोई प्रावधान है ही नही तो 2 फर्मो के नाम लिखवाने का प्रावधान भी नही है। पूरे जिले में लगभग सभी दवा दुकाने बगैर फार्मासिस्ट की हाजिरी के संचालित किये जा रहे है,दुकानों में प्रतिबंधित दवाएं,नशीली दवाओं की बिक्री धड़ल्ले से बेची जा रही है और ड्रग विभाग लम्बी तानकर सो रहा है। 50 हजार रुपये देकर कोई भी ऐरा गैरा नत्थू खैरा अनपढ़ गंवार,फूहड़,बदतमीज,फुटपथिये भी 2000 रुपये में फार्मासिस्ट जुगाड़ कर दवाई दुकान के मालिक ड्रग विभाग की मेहरबानी से बन बैठ रहे है। जिन्हें सही तरीके से हिंदी भी लिखनी नही आती वे अंग्रेजी दवा बेच रहे है। इन सब से ओषधि विभाग को कोई वास्ता नही रह गया है।वास्ता केवल इतना रहता है कि 12 हजार रुपये प्रति दुकान से सालाना नजराना मिलता रहे बस फिर उल्टे सीधे कुछ भी काम दवाई दुकान की आड़ लेकर करते रहो। टूटी कलम
लगभग 800 दवा दुकाने रायगढ़ जिले में संचालित हो रही है। 12000×800=9600000 लाख रुपये तो शुद्ध नजराने के मिलते है एवं दवा दुकान के निरीक्षण पर लीपापोती करने से अलग से कमाई की जाती है सो अलग है। ड्रग कंट्रोलर को तो इन सब बा तो से कोई मतलब ही रहता सिवाय इसके की सालाना कितना चढ़ावा प्रदेश से आता है। टूटी कलम
सबसे बड़ा सवाल कि यदि नई खुल रही दवा दुकान में यदि कोई गड़बड़ी पाई जाती है या कोई उक चूक होती है तो उसका कसूरवार लक्ष्मी मेडिकल स्टोर्स को माना जायेगा या फिर सुनील मेडिकल स्टोर पर कार्रवाई की जायेगी । जिला कलेक्टर भीम सिंह एवं मुख्य चिकित्सा अधिकारी एस एन केसरी को इस दिशा में संज्ञान लेना चाहिए एवं पुलिस को भी हस्तक्षेप करना चाहिए। टूटी कलम






