
✒️टिल्लू शर्मा टूटी कलम रायगढ़………ट्रेन से कटकर 2 किशोरों की मौत हो गई । जिसमें एक 18 वर्ष का तो एक 19 वर्ष का बतलाया जा रहा है। जिनकी ड्यूटी रेल पथ पर लगाई गई थी बतलाया गया। पुलिस ने आशंका जतलाई की शायद सेल्फी लेने के चक्कर मे दोनो ट्रेन की चपेट में आ गए। अब यह प्रश्न उठ रहा है कि क्या ट्रेन का इंजन ड्राईवर सो रहा था कि उसको पटरियों पर खड़े युवक दिखलाई नही दिए। ड्राइवर ने उन्हें सचेत करने के लिए हॉर्न क्यूँ नही बजाया। ड्राईवर ने इमरजेंसी ब्रेक क्यूँ नही दबाया। यदि यही हादसा सड़क पर हुआ होता तो शायद कोहराम मच गया होता। लोग सड़क पर शवो को रखकर चक्का जाम कर दिए होते। भाजपाई मृतकों के परिजनों को 50-50 लाख रुपये मुआवजा स्वरूप दिए जाने पर थाने का घेराव कर देते। अब रेल पटरियों पर बैठकर मुआवजा एवँ ड्राईवर पर अपराध दर्ज करने की मांग कोई क्यूँ नही कर रहा है। आखिर किसी के घरों के चिराग बुझे है। परिवार का भरण पोषण करने वाले चले गए। क्या रेलवे में ट्रेन से कटकर मरने पर ड्राइवर को बरी समझा जा सकता है एवं मरने वालों के लिए मुआवजा देने का कोई प्रवधान नही है आखिर क्यूं जबकि रेलवे देश का सबसे बड़ा मंत्रालय एवं उद्योग है। टूटी कलम