✒️टिल्लू शर्मा टूटी कलम रायगढ़… खरसिया के नामचीन चलती वाले,रसूखदार,ठेकेदार, व्यवसाई राजेश अग्रवाल की दिन दहाड़े हुई हत्या को भले ही लोग सामान्य घटना मानकर चल रहे हो परन्तु यह केवल आगाज है उन लोगो के लिए जो गरीबो को असहाय,अक्षम,कमजोर समझते है। स्व.राजेश अग्रवाल भले ही समाज के लिए करोड़पति,अरबपति रहे हो। मगर एक आम इंसान के लिए वे मात्र आम इंसान ही साबित हुए। बेटा आस्ट्रेलिया सरीखे मंहगे देश मे रहता हो। मृतक प्रदेश का नामी गिरामी सड़क का ठेकेदार था,जमीन का कारोबारी था,डामर प्लांट,क्रेशर का मालिक था इससे उस व्यक्ति को कोई फर्क नही पड़ा और मात्र 10 हजार रुपये न बढ़ाने के कारण रुष्ट होकर हत्या जैसे जघन्य कांड को अंजाम दे डाला। टूटी कलम
अवैध अतिक्रमण करने वालो प्रदूषण फैलाने वालों,पर्यावरण नष्ट करने वालो के लिए सीख..इस घटना के बाद उक्त कार्यो में लीन लोगो को समझ जाना चाहिए कि लोगो को अपने आगे चींटी समझने की गलती न करे क्योंकि चींटी हांथी की मौत का कारण बन जाती है। गरीबो,असहायों, मजबूरों,आदिवासियों की जमीन पर बलात कब्जा करने के परिणाम कब जानलेवा बन जाये इसे कोई नही जान सकता। इसलिए “निर्बल को न सताइये जाको बुरी हाय, मरी हुई खाल से लोहा भी भस्म हो जाये। जिसका जितना हक होता है। वह उसे मिलना एवँ देना भी चाहिए। उद्योगों को प्रदूषण,पर्यावरण पर विशेष ध्यान देने की जरूरत आन पड़ी है ताकि किसी अन्य राजेश के साथ इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति न हो सके। टूटी कलम
मात्र 10 हजार रुपयो की खातिर विभत्स कत्ल कर दिया गया.. मिली जानकारी के अनुसार मृतक राजेश के क्रेशर से सटकर ही हत्यारे कृषक की जमीन है। जिसके कारण क्रेशर से उड़ने वाली डस्ट की वजह से हत्यारे की फसल प्रभावित होती थी। दोनो के मध्य मुआवजा राशि को लेकर पूर्व में समझौता हुआ था। जिसके कारण मृतक हत्यारे के 15 हजार रुपये सालाना बतौर मुआवजा देता था। मगर बढ़ती महंगाई एवँ कोरोना काल की वजह से हत्यारा हत्प्राण राजेश से मुआवजा दुगुना करने की मांग कर रहा था। मृतक ने मुआवजा बढ़ाने से स्पष्ट इंकार करना धोबीराम को नागवार गुजरा जिस वजह से वह राजेश से रंजिश रखने लगा और सबक सिखलाने के मौका की तलाश में रहने लगा। जैसे ही मौका मिला उसने अपने मंसूबो को अंजाम दे दिया और जंगल की ओर घूमने निकल गया। जहां से पुलिस उसे पकड़ लाई। उसने अपने अपराध की स्वीकारोक्ति इस तरह से कर ली मानो उसने कोई सामान्य कार्य किया हो। मूढ़ एवँ आक्रोशित इंसान कब क्या कर डालता है। इसका उसे तनिक भी पश्चाताप भी नही होता। स्व.राजेश की गर्दन पर कुल्हाड़ी से इतना जबरदस्त प्रहार किया गया कि गर्दन नाममात्र के लिए धड़ से अलग नही हो पाई। राजेश के जमीन पर गिर जाने के बाद भी धोबीराम का गुस्सा शांत नही हुआ और उसने सिर,चेहरे पर लगातार कई वार किये। जिस वजह से राजेश की मृत्यु घटना स्थल पर ही हो गई थी। टूटी कलम
चश्मदीद कोई नही है शायद..उक्त हत्याकांड का शायद कोई चश्मदीद गवाह नही होने की वजह से हत्यारे को लाभ दिया जा सकता है। क्रेशर में हत्यारा कब आया? किसने देखा ? किसने धोबीराम को राजेश पर टँगीया से वार करते देखा ? आदि इस कांड की कमजोर मजबूत कड़ी है। मात्र जमीन बगल में होने,कपड़ो पर खून के निशान मिलने,फिंगर प्रिंट मेल खाने,हत्यारे को जंगल से पकड़कर लाने के सबूत कमजोर कड़ी हो सकते है। इतने बड़े क्रेशर में इतना बड़ा लोमहर्षक कांड होते किसी ने न देखा हो यह अपचनीय है। राजेश ने क्रेशर के मुंशी आदि को अपने क्रेशर आने की पूर्व में सूचना तो जरूर दी होगी। यदि दी थी तो वे अपने मालिक की के आने के समाचार पाकर भी मुस्तैद क्यूं नही हुए। टूटी कलम
अंत मे… खरसिया में घटित हत्याकांड से उन लोगो को सीख लेनी होगी ।जो लोग कृषकों,ग्रामीणों को कमजोर ससमझकर उनके आजीवन के साधन खेतो में या खेतो के आसपास अपनी बपौती समझकर फ्लाईएश डंप करते है या उद्योग संचालको के उद्योगों के कारण मनमाने तरीके से प्रदूषण फैलने के कारणों से कृषि भूमि बंजर बन जाती है। ऐसे में इसके दुष्परिणाम अब दिनों दिन आने शुरू हो सकते है क्यूंकि हत्यारे धोबीराम ने इसका आगाज कर एक संदेश दे दिया है। टूटी कलम