✒️ टिल्लू शर्मा टूटी कलम रायगढ़…अपने अधीनस्थ अधिकारियों,कर्मचारियों की वजह से आला अधिकारियों की छवि पर फर्क पड़ता है प्रभाव,दुष्प्रभाव को लोग पुलिस की सफलता असफ़लता का कारण उच्च अधिकारियों को ही मानते है। जबकि कोई भी गैरकानूनी कार्य बगैर क्षेत्र की पुलिस को इतला करे बिना संचालित नही किया जा सकता और ना ही किसी भी अपराधी में इतना हौसला नही होता कि वह थाना क्षेत्र में कदम भी रख सके। टूटी कलम
देखन म छोटे लागे,घांव करे गंभीर….कुछ इसी तरह का अवैधानिक,समाजिक बुराई का उदाहरण है। 3 स्टाइगरो के माध्यम से लोगो को मूर्ख बनाकर उनकी गाढ़े खून पसीने की कमाई को हड़प कर लेना। देखने मे लगता है कि सड़क पर गमछा बिछाकर स्टाइगर का खेल खिलाया जा रहा है। जबकि इस धंधे से लाखों रुपयों की कमाई कर ली जाती है। ताश के जुआ,अंको का,क्रिकेट के सट्टे से छोटा नही है स्टाइगर नामक जुआ जिसको खिलाने वालो को पुलिस भली भांति नाम से चेहरे से पहचानती है क्योंकि सप्ताह में माह में इन चेहरो को थाने परिसर के अंदर हंसी ठिठोली,विचरण करते देखा जा सकता है। अब ये लोग थाने में घूमने आते है या फिर नजराना भेंट करने आते है।इसे थाने वाले ही समझ सकते है। टूटी कलम
15 से 30 लाख रुपये कमाने का जरिया है स्टाइगर के खेल से….अनुमान के अनुसार प्रतिदिन 50 हजार रुपए से 1 लाख रुपये तक की कमाई इस धुतक्रीड़ा के माध्यम से की जाती है। जबकि एवज में पुलिस को कुछ हजार रुपयो की चढ़ोत्तरी कर धंधे को छोटा मोटा बतलाया जाता है। इस खेल को देखने वाले भी छोटा समझते है जबकि 2,3 घण्टो में ही खिलाने वालो की जेबें नोटो से ठसाठस भर जाती है एवं पुलिस की गस्ती वाहन आने से पूर्व ही सारे धंधेबाज रफूचक्कर हो जाते है। टूटी कलम
जोरापाली धनागर चौक,किरोड़ीमल नगर के आसपास के हाट बाजार ,तुमिडीही आदि को पसंदीदा एवँ सुरक्षित स्थान मानकर बेख़ौफ धुतक्रीड़ा करवा कर अघोषित लूट को अंजाम दिया जाता है। इस खेल के सूत्रधार बाजीराव- मौदहापारा के निवासी 2 सगे भाई है। जो बकायदा स्कॉर्पियो वाहनों की सवारी करते है एवं 4 आलीशान घरों में निवास करते है। ये लोग जेलपारा,कयाघाट,गाटरखाल्हे के नाबालिगों,बेरोजगागारो को स्टाइगर फेंकने की कला में पारंगत कर धन की खिंचाई करने में लगे हुए है। टूटी कलम
क्रमशःनिरन्तर,लगातार,एवं बात राजधानी तक पहुंचाई जाएगी। oooops 404 error नही किया जायेगा






