✒️ टिल्लू शर्मा टूटी क रायगढ़..एक के बाद एक पर्यावरण को नुकसान पहुचाने वाले उद्योगों के विस्तार के लिये किस दायरे के तहत जनसुनावाई की जा रही हैं । बिना मुनादी, प्रचार, प्रसार के प्रशासन गुप चुप तरह से सारी खानापूर्ती कर अनुमति देती रही हैं ।इसी तरह की एक सुनियोजित जनसुनवाई 25 मार्च को आयोजित की गयी हैं जिसमें एम एस पी प्लांट का विस्तार किया जायेगा प्लांट अपनी दलील में जिन तथ्यों का हवाला देती हैं ।उसकी जांच करने का कोई प्रयास प्रशासन नहीं करता जबकी ग्रामीणो का साफ कहना हैं की इन प्लाटों के ऐसे विस्तार से गांव शहर व जिलें का पर्यावरण बुरी तरह प्रदुषित होता हैं पहले भी स्थापना के समय भी प्लांट के मेनेजमेंट ने इन मुद्दो की पूरी तरह अनदेखी की हैं प्रदुषण को रोकने के लिये जिन आधुनिक इएसपी का इस्तेमाल कंपनियों व्दारा किया जाना चाहिये उनका उपयोग कभी किया ही नहीं जाता ये महज एक शो पीस की तरह प्लांटो में स्थापित की गयी हैं ताकी जांच के दौरान अधिकारियों से खानापूर्ति करा सार्टिफिकेट प्राप्त किया जा सकें इसके अलावा इस प्लांट व्दारा जिन सड़को का उपयोग किया जा रहा हैं उनके रख रखाव के प्रति भी प्लांट जिम्मेदारी का कोई निर्वाह नहीं करते जिसके कारण भारी भरकम वाहनो के दौड़ने से सड़को का पूरी तरह कचूमर निकल चुका हैं जगह जगह बडे़ बडे़ गड्ढे इस दुर्दशा का खुद ही बखान कर रहें हैं परंतु प्लांटो से जन सुविधा दिलाने के नाम पर पर्यावरण विभाग हो या उद्योग विभाग कोई प्रयास नहीं करता प्लांट भी अधिकारियों की जेब गर्म कर अपना काम कराने में ज्यादा विश्वास करते हैं यही हाल स्थानिय लोगों को रोजगार देने के मामले में भी हैं प्लांट की स्थापना व विस्तार के समय गांव के लोगों को हर कोई रोजगार देने के बडे़ बडें सपने दिखाते हैं लेकिन जैसे ही कंपनियों को स्विकृति मिलते ही ये काफूर हो जाते हैं प्रशासन भी प्लांटो के इन कागजी वायदो की असलियत जानता हैं फिर भी लोगों के साथ प्लांटो की ये धोखाधड़ी खुले आम चल रही हैं सरकार के साथ किये गये एम ओ क्यू की शर्तों तक का पालन उद्योगों व्दारा नहीं किया जाता सबकुछ सरकार और प्रशासन की नाक के नीचे बेधड़क चल रहा हें लेकिन किसी की क्या मजाल की कोई इन जान लेवा उद्योगों कर कार्यवाही कर सकें यह तो दूर की बात हैं किसी में यह तक पूछने की हिम्मत नहीं हैं कि इन विस्तारवादी प्लांटो ने स्थापना के दौरान जो वायदे किये थे उसमें से कितने को पूरा किया गया गांव के कितने लोगो को इन प्लांटो ने नौकरियां दी प्रशासनिक अमला यदि इमानदारी से काम करें तो जिले के एक भी प्लांट को विस्तार की अनुमति मिलना तो दूर उल्टे इन प्लांटो को दी गयी स्थापना व संचालन की अनुमती को ही रद्द करने की नौबत आ जायेगी कुछ लोग प्लांटो की इस मनमानी के खिलाफ आवाज उठाते भी हैं और ऐसी जन सुनवाई का विरोध भी करते हैं लेकिन प्लांटो की सरकारी सेंटिंग के सामने उनकी आवाज नकार खाने की तूती बन कर रह जाती हैं अभी तक जिले में जितने भी प्लांटो को विस्तार की अनुमति दी गयी हैं उन सभी की निष्पक्ष जांच करायी जायें तो कूटरचित दस्तावेज की बिना पर झुठी जानकारी देकर लोगों को ठगने व धोखाधड़ी करने के आरोप में प्लांटो के मेनेजमेंट के साथ ही स्विकृति प्रदान करने वाले अधिकारी भी जेल के सिंखचो में बंद नजर आयेगें. टूटी कलम