✒️टिल्लू शर्मा टूटी कलम रायगढ़…कल जिला भाजपा रायगढ़ सिटी कोतवाली का घेराव करने जा रही है। इस आंदोलन से जिला भाजपाध्यक्षज की अस्मिता पर प्रश्नचिन्ह खड़े हो गए है कि क्या यह आंदोलन करना जल्दबाजी तो नही हो जायेगी ?
आवेदिका ने स्वयं आकर दिया था शिकायत आवेदन…..इस प्रकरण में तथाकथित छेड़छाड़ मामले में आवेदिका ने स्वयं उपस्थित होकर अपने सांथ हुई प्राइवेट पार्ट को छुआ छाई को लेकर को लेकर जांच करने का लिखित आवेदन पुलिस को सौपा था। जिसके बाद पुलिस ने 354 का मामला कायम कर आगे विवेचना करने का आश्वासन आवेदिका को दिया गया है। अगर कानूनविदों की मानें तो मामला कायम करने के बाद पुलिस के पास 90 दिनों का समय रहता है कि मामले की जांच कर न्यायालय में प्रकरण पेश किया जा सके। टूटी कलम
थानेदार के द्वारा जांच शुरू नही की गई और भाजपाइयों के द्वारा पुलिस के खिलाफ मोर्चा खोल देना सत्ता का खेल कहा जा सकता है।वर्तमान में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है तो जाहिर सी बात है कि भाजपा अपने पदाधिकारियों,कार्यकर्ताओ पर कार्रवाई होने पर सरकार को घेरने के अवसरों को कहीं न कहीं,किसी न किसी रूप में जरूर तलाशेगी।
महिला संबंधी अपराधों में कानून में बहुत सी खामियां है कि यदि स्वंय महिला उपस्थित होकर अपने साथ छेड़छाड़, दुष्कर्म का आरोप किसी पर लगाती है तो उसे किसी भी प्रमाण की आवश्यकता नही होती। महिला के द्वारा मौखिक शिकायत करने,लिखित आवेदन देने,रिपोर्ट दर्ज करवाना ही काफी होता है। जिसके बाद पुलिस के द्वारा सक्षम महिला अधिकारियों के मार्फत जांच करवाकर केस फाइल आगे बढ़ाई जाती है। यह माना जाता है कि कोई भी महिला अपनी इज्जत की धज्जियां उड़ाने स्वयं चलकर आगे नही आती है। महिला उत्पीड़न मामले में इसलिए किसी गवाह की आवश्यकता नही होती। जिसका फायदा कुछ एक महिलाएं उठाने से नही चूकती। पुरुषों को निपटाने के लिए इतनी छूट मिलना महिलाओं के लिए ब्रम्हास्त्र बनता जा रहा है। जिसमे संशोधन की महती आवश्यकता है। इसी कारण से लोग महिलाओं को विश्वासपात्र नही मानते। टूटी कलम
