🎯 टिल्लू शर्मा 🖋️टूटी कलम रायगढ़ छत्तीसगढ़ कल रायगढ़ पधारे राष्ट्रीय प्रवक्ता गुरु प्रकाश पासवान मुख्यमंत्री पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के आगमन पर भाजपा में गुटबाजी स्पष्ट दिखलाई दी। कार्यक्रम में पूर्व विधायक विजय अग्रवाल अपने पूरे लाव लश्कर के साथ पहुंचे थे वही दिवंगत पूर्व विधायक रोशन लाल अग्रवाल का भी पूरा गुट पहुंचा था यदि ये दोनों गुट कार्यक्रम मैं नहीं जाते तो कार्यक्रम स्थल निगम ऑडिटोरियम की आधी कुर्सियां खाली दिखलाई रहती। यह कार्यक्रम स्पष्ट संकेत दे गया की यदि इस बार के विधानसभा चुनाव में विजय अग्रवाल एक बार पुनः अपनी किस्मत निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में भी आजमाते हैं तो टक्कर उनके एवं कांग्रेस प्रत्याशी के बीच में ही रह जाएगी। भाजपा प्रत्याशी चाहे वह उमेश अग्रवाल हो,चाहे वह ओपी चौधरी हो,चाहे वह गौतम अग्रवाल हो, चाहे अन्य कोई भी क्यों ना हो। विजय अग्रवाल की स्थिति इन लोगों से कहीं ज्यादा बेहतर होगी। पिछले चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में टीवी छाप से चुनाव लड़ कर विजय अग्रवाल ने लगभग 50,000 वोट पाकर यह स्पष्ट कर दिया था कि रायगढ़ विधानसभा में उनका स्वयं का बहुत बड़ा वोट बैंक है एवं युवा वर्ग उनसे अच्छे खासे प्रभावित हैं। पूर्व विधायक स्वर्गीय रोशन लाल (भाजपा) की हार का एकमात्र कारण विजय अग्रवाल ही को माना जाता है। यदि पिछले चुनाव में ही भाजपा विजय अग्रवाल को टिकट दे दी थी तो शायद रायगढ़ विधानसभा की सीट भाजपा की झोली में होती और प्रदेश में उनका एक विधायक और बढ़ गया होता। भाजपा से टिकट ना मिलने से खिन्न होकर विजय अग्रवाल ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा एवं कांग्रेश – भाजपा दोनों ही पार्टियों के प्रत्याशियों के दांत खट्टे कर ,छक्के छुड़ा दिए थे। हालांकि उस चुनाव में जीत कांग्रेस के नए चेहरे एवं युवा उम्मीदवार प्रकाशक नायक को हासिल हुई थी। उस चुनाव में विजय एवं रोशन की आपस की टकराहट का फायदा प्रकाश नायक उठा ले गए थे। जिसके बाद विजय अग्रवाल को भाजपा से निष्कासित कर दिया गया परंतु संघ से जुड़े विजय अग्रवाल के द्वारा भाजपा के प्रत्येक कार्यक्रम में शामिल होकर यह जाहिर किया जाता रहा कि वे भाजपा के थे और भाजपा के ही रहेंगे। विजय अग्रवाल निष्कासन के पश्चात पार्टी में पुनः वापसी के लिए बहुत हाथ पैर मारे परंतु ऊपरी दबाव की वजह से उनकी पार्टी में वापसी नहीं हो सकी है और इस बीच कई नए चेहरे अपने आप को विधायक की टिकट के दावेदार मानने लगे है।
कल पुस्तक कार्यक्रम के दौरान मंच पर भाजपा के सामान्य कार्यकर्ता एवं महिला मोर्चा की कार्यकर्ताओ को स्थान दिया गया। इन लोगों की एंट्री मंच के पीछे बने आगंतुक कक्ष तक देखी गई। वही संघ से जुड़े एवं वरिष्ठ भाजपाइयों की पूछ परख तक नहीं की गई। जिसको देखकर या समझ में आ जाता है कि भाजपा के जिला अध्यक्ष अति उत्साह में पार्टी की लुटिया डुबाने के लिए कमर कस के तैयार है। जिन लोगों ने सन 1975 में कांग्रेस शासन के खिलाफ हलधर किसान का झंडा उठाकर पार्टी को एक नई पहचान दी गई। उन लोगों को दरकिनार करना वर्तमान कमल छाप को निश्चित रूप से भारी पड़ेगा। विजय अग्रवाल यदि इस बार पुनः निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ेंगे तो हो सकता है उनकी जीत सुनिश्चित हो जाए और दोबारा विधायक बनने का उनका सपना पूरा हो जाए। आर्थिक दृष्टि से संपन्न सुदृढ़ विजय अग्रवाल यदि चुनाव में दो चार, करोड रुपए खर्च भी कर दे तो उन्हें कोई फ़र्क नहीं पड़ने वाला है।







