रायगढ़ पिछले एक माह से शहर की एक-एक गलियों में अरुणाचल प्रदेश की सस्ती शराब महंगे रेट पर बिकने की चर्चा हर जुबान पर है। परंतु इसको लेकर ना तो किसी जनप्रतिनिधि ने आवाज उठाई और ना ही विपक्ष के नेताओं ने हल्ला बोला है। जन चर्चा के अनुसार reserve 7 नामक शराब गोवा से अरुणाचल प्रदेश जा रही थी जिसे रायगढ़ में रोककर किन्ही तत्वों ने औने पौने दाम पर खरीद कर भंडारण कर लिया था। जिसके तुरंत बाद देश में लाकडाउन लग गया था ।इसका पूरा फायदा शराब माफियाओं ने जमकर उठाया एवं ₹265 की छपी कीमत वाली शराब की बोतल मुंह मांगी कीमत पर गली-गली मोहल्ले,मोहल्ले गांव, गांव में ₹3000 कीमत तक बिकने लगी जिसकी जानकारी आबकारी विभाग, पुलिस विभाग, जिला प्रशासन, को होने के बावजूद भी कोई कार्यवाही ना होना शराब माफिया के ऊंचे रसूख का जीता जागता उदाहरण है । इस घटिया शराब से होने वाली काली कमाई को शराब विक्रेता अकेला तब तक हजम नहीं कर सकता जब तक की उसके ऊपर किसी बड़े नेता का राजनीतिक संरक्षण प्राप्त ना हो,कि शेयर न हो। सबसे दिलचस्प पहलू तो यह है की शहर के अतिरिक्त जिले में हर व्यक्ति की जुबान पर रिजर्व सेवन नामक शराब की चर्चा है परंतु सत्ता पक्ष के अतिरिक्त विपक्षियों की भी जुबानो पर लटके ताले बहुत बड़ी भागीदारी की ओर संकेत करती है । ऐसा कहा जा रहा है की कोतरा रोड से शुरू शराब का यह खेल गांव-गांव तक जा पहुंचा है। जिसमें बेरोजगार युवकों को शराब बेचने के अवैध कार्यों में लगा दिया गया है। संभवतः विधानसभा चुनाव के दौरान हुई जान पहचान से इस कार्य को बखूबी से अंजाम दिया जा रहा है। यदि आबकारी विभाग चाहता तो ग्राम धनागर की होटल में पकड़ाई गई रिजर्वेशन रिजर्व 7 की दो कार्टून अवैध शराब के विक्रेता होटल व्यवसाई के माध्यम से शराब माफिया का पूरा नेटवर्क ध्वस्त किया जा सकता था एवं शराब विक्रेताओं के सरगना की गर्दन नापी जा सकती थी। ऐसी जन चर्चा है कि अवैध शराब के जरिए की गई करोड़ों की कमाई में अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों, विपक्ष पार्टी के कद्दावर नेताओं का भी कमीशन फिक्स है । तभी तो आज तक रिजर्व 7 के एक विक्रेता पर कोई वैधानिक कार्यवाही नहीं हो पाई है ।पिछले दिनों प्रदेश के आबकारी मंत्री लाकडाउन की धज्जियां उड़ाते हुए रायगढ़ पहुंचे एवं लाकडाउन में बंद होटल को खुलवा कर अपने शागिर्दों के साथ रुके एवं तफरीह कर चले गए। जिसकी गूंज प्रदेश की राजधानी रायपुर से होकर देश की राजधानी दिल्ली तक जा पहुंची है ।अब यह देखना है कि इन मंत्री महोदय पर क्या कार्यवाही की जा सकती है। पत्रकारों द्वारा पूछे गए किसी भी सवाल का सही जवाब मंत्री महोदय ने नहीं दे पाये। जिससे शहर में तरह-तरह की जन चर्चा हर आदमी की जुबान पर है। जिले के संवेदनशील आला अधिकारी आखिर किसके इशारे पर कार्यवाही करने से हिचक रहे हैं । इस तरह से खुले रूप में हो रहे अवैध धंधों पर यदि लगाम नहीं कसी जाएगी तो भविष्य में और कई और शराब माफिया जन्म लेंगे। कानो सुनी अनुसार यदि माना जाए तो एक ट्रक अवैध शराब के जरिए करोड़ों रुपया अंदर किया जा सकता है। जिससे शॉर्टकट रूट अख्तियार कर धन कमाने वाले युवकों का आदर्श व्यवसाय बन सकता है। शेर जंगल का राजा होता है ।यह बात सत्य साबित हो रही है की बड़े-बड़े लोग एक शराब की बोतल के लिए काफी अनुनय विनय करते नजर आते हैं। परंतु एक बात और भी है किस शेर की बादशाहत हमेशा कायम नहीं रह पाती है एक-एक दिन शेर को सवा सेर और से ही मिल जाता है। अब यह देखना है की इस अवैध शराब की बिक्री के चलते किन-किन अधिकारियों पर तबादले की गाज गिरा कर प्रदेश सरकार अपने कर्तव्य का पालन करती है एवं किन-किन जनप्रतिनिधियों की छीछालेदर होती है।