🌀टिल्लू शर्मा ✒️टूटी कलम रायगढ़ … वैसे तो पंचवर्षीय त्यौहार (चुनाव) भारत के प्रत्येक प्रदेश में अलग-अलग समय मनाया जाता है. जिसे आम बोलचाल की भाषा में आम चुनाव कहा जाता है. चुनाव कार्यक्रम में लोग एक डेढ़ माह तक व्यस्त रहते हैं एवं दिन रात मेहनत कर करके फल प्राप्ति का इंतजार करते हैं. पार्लियामेंट चुनाव की अपेक्षा असेंबली चुनाव ज्यादा रुचिकर होता है. यह इलेक्शन लोकल स्तर पर लड़ा जाता है. इस चुनाव में चिर परिचित, जान पहचान,वाले चेहरे चुनाव लड़कर अपना भाग्य आजमाया करते हैं. चुनाव से पहले एवं नामांकन भरने के बाद चुनाव परिणाम आने तक सारे प्रत्याशी स्वयं को विधायक समझा करते हैं. चुनाव में भीतरघातियों का अलग ही स्थान होता है. जो दोनों पार्टियों के प्रत्याशियों से ऐसो आराम का समान, धन लेकर परिवार सहित तफरीह के निकल जाया करते हैं.
छत्तीसगढ़ राज्य में आगामी 7 एवं 17 नवंबर को 90 विधानसभा सीटों पर मत डाले जाएंगे. जिनके परिणाम 3 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे. प्रत्याशियों ने मतदाताओं को लुभाना,रिझाना,आश्वासन, कसम देनी शुरू कर दी है. प्रत्याशियों के द्वारा अपनी विधानसभा क्षेत्र को स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली, पानी, सड़क, नाली,आदि आदि मूलभूत सुविधाओं से पूर्ण कर देने के के आश्वासन दिए जाने लगे हैं. किसी के द्वारा एजुकेशन हब, किसी के द्वारा उद्योग हब, तो किसी के द्वारा सांस्कृतिक हब बनाने के वचन दिए जाने लगे है. चुनावी घोषणा पत्र में एक से बढ़कर एक घोषणाएं लिखी जाने लगी है. जबकि घोषणाएं कभी पूरी नहीं हुआ करती है.
पूरे प्रदेश में सबसे गर्म सीट है रायगढ़ विधानसभा… प्रदेश की सभी 90 विधानसभाओं में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण सीट रायगढ़ विधानसभा को मानी जा रही है. यहां से भाजपा के प्रदेश महामंत्री पूर्व कलेक्टर खरसिया से चुनाव हार चुके ओ पी चौधरी को रायगढ़ विधानसभा से कमल छाप का प्रत्याशी बनाया गया है. ओपी चौधरी को भाजपा का यूथ आइकॉन नेता माना जाता है. इसलिए युवाओं की टोली उनके साथ रहती. ओ पी चौधरी न तो रायगढ़ विधानसभा के निवासी हैं और न ही मतदाता है. मगर उनके द्वारा पिछले 5 वर्षों से रायगढ़ विधानसभा को लक्ष्य मानकर मानकर निरंतर सत्तारूढ़ कांग्रेस के खिलाफ धरना,प्रदर्शन,बीच सड़क पर बैठकर आंदोलन किया जाता रहा है. प्रदेश भाजपा के द्वारा घोषित घोषित मुख्यमंत्री निवास का घेराव, कलेक्ट्रेट घेराव, थाना घेराव, एसडीएम कार्यालय घेराव आदि में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया जाता रहा है. मध्य प्रदेश के तत्कालीन तत्कालीन गृहमंत्री स्वर्गीय नंदकुमार पटेल के पुत्र उमेश पटेल के खिलाफ चुनावी रण में उतरकर ये रातों-रात प्रदेश स्तर के भाजपा नेताओं में शुमार हो गए.रूप में जाने पहचाने जाने लगे. हालांकि इन्हें उमेश पटेल से 17,000 से अधिक वोटो से शिकस्त मिली थी. इनकी हार का कारण प्रदेश के कद्दावर भाजपा नेता ही बतलाए जाते हैं क्योंकि चौधरी के जीत जाने के बाद वर्ग विशेष के नेताओं के ऊपर इस सुपर पावर का खतरा मंडराना उत्पन्न हो सकता था.मगर यही हालात रायगढ़ में भी है कि यदि ओ पी चौधरी चुनाव जीत जाते हैं तो प्रदेश स्तर तक के वर्ग विशेष के भाजपा के कद्दावर नेताओं की पूछ परख खत्म हो जाएगी. जहां एक तरफ पूरा भाजपा संगठन ओ पी को चुनाव जिताने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा देंगे.वही ओ पी अपने से ऊपर निकलने से रोकने के लिए धन कुबेरों के द्वारा अपनी अपनी तिजोरी खोल दी जाएगी. इसलिए ओ पी के सामने बहुत बड़ी चुनौती है। जहां ओ पी को कांग्रेस प्रत्याशी प्रकाश नायक के साथ लड़ना होगा वही उन्हें अपने ही संगठन के भीतरी घात करने वाले लोगों से जूझना पड़ेगा. जो लोग पिछले 5 साल से अपनी मजबूती बनाने के लिए लाखों रुपए खर्च कर चुके हैं क्या वे ओ पी के लिए वोट मांग सकेंगे क्योंकि वे गांव-गांव जाकर स्वयं को भाजपा का प्रत्याशी बतलाने में कोई कसर नहीं छोड़े थे.
रायगढ़ विधानसभा के मतदाता की नजरों में ओ पी एक आयातित प्रत्याशी होंगे…. रायगढ़ विधानसभा से भाजपा के प्रत्याशी आप चौधरी खर्चा विधानसभा के ग्राम बायंग के निवासी और मतदाता है. इसलिए रायगढ़ के मतदाता नहीं चाहेंगे कि रायगढ़ का विधायक खरसिया क्षेत्र से आकर चुनाव लडे. रायगढ़ विधानसभा के भाजपा नेता जिन्होंने अपना सारा जीवन भाजपा के लिए समर्पित कर दिया वे ओ पी चौधरी को रायगढ़ विधायक के रूप में कितना स्वीकार कर पाएंगे यह आने वाला समय ही बताएगा. रायगढ़ जिला मुख्यालय से भाजपा को प्रत्याशी न मिलना अत्यंत शर्मनाक है.







