टूटी कलम रायगढ़ जिले का बहुचर्चित, विश्वसनीय, पाठको की पहली पसंद नंबर वन के पायदान पर न्यूज वेब पोर्टल “टूटी कलम” अपनी लोकप्रियता की वजह से छत्तीसगढ़ स्तर पर जाना पहचाना जाने लगा है. संपादक निडर,निष्पक्ष,निर्भीक, बेबाक,बेखौफ, असलियत से नाता रखने वाला, लेखक, चिंतक, विचारक, विश्लेषक, व्यंग्यकार,स्तंभकार,कलमकार, माता सरस्वती का उपासक, लेखनी का धनी, कलम का मास्टरमाइंड चंद्रकांत (टिल्लू) शर्मा रायगढ़ छत्तीसगढ़ 83192 93002
🎤टिल्लू शर्मा ✒️ टूटी कलम न्यूज रायगढ़ . 90 के दशक में रायगढ़ शहर एक कस्बे के रूप में फैला हुआ था. शहर के चारों दिशाओं में एक-एक किलोमीटर जाने के बाद शहर की सीमा खत्म हो जाया करती थी. 1 किलोमीटर के बाद आगे जाने से रिक्शा वाले भी कतराया करते थे कि इसके बाद सुनसान क्षेत्र एवं वीराना हुआ करता था.उस समय आने जाने के लिए रिक्शा ही एक मध्य हुआ करता था. शहर की सड़के दिन में भी सुनसान रहा करती थी. रात के समय नगर पालिका के विद्युत खभों पर 40 वाट के बल्ब जला करते थे. शहर में गिनी चुनी चार पहिया एवं दो पहिया महान हुआ करते थे. चार पहिया वाहन में एंबेसडर,फिएट कार एवम विलिस की जीप हुआ करती थी. दु पहिया वाहन में लेंब्रेटा, वेस्पा,जावा,राजदूत,यजदी, प्रिया बजाज प्रमुख हुआ करती थी.उस समय चार पहिया दु पहिया वाहन वालो को धनाढ्य समझा जाता था.
जिंदल उद्योग ने दी रायगढ़ को नई पहचान. जिस समय जिंदल उद्योग ने रायगढ़ शहर में पदार्पण किया. उस समय रायगढ़ के नेताओं,पत्रकारों, समाजसेवियों, रसुखदारों ने तहे दिल से स्वर्गीय ओमप्रकाश जिंदल का आत्मीय स्वागत किया और उद्योग लगाने में पूरा सहयोग प्रदान किया गया था. जिंदल उद्योग आने के बाद रायगढ़ जिले पर औद्योगिक घरानों और उद्योगपतियों की निगाह जम गई थी. जिन्होंने यह भांप लिया था कि रायगढ़ जिले के लोगों में विरोध करने की क्षमता नहीं है अपितु वे पूरा सहयोग देने में आगे रहते हैं. धीरे धीरे शहर के चारों तरफ की जमीने बाहर के उद्योगपतियों ने कौड़ियों के दाम पर मुंह मांगी कीमत लेकर खरीदनी शुरू कर दी. तब किसी को यह एहसास नहीं था कि कस्बा रूपी रायगढ़ की पहचान देश, प्रदेश, के साथ विदेशो में भी हो जाएगी. रायगढ़ जिले की जमीन के अंदर खनिज का भंडार छुपा हुआ है जो सैकड़ो वर्ष खनन एवम भरपूर मात्रा में उपयोग करने के बाद भी खत्म नहीं होगा.जिंदल उद्योग को अपने उत्पादन के लिए सहयोगी कारखानो की भी आवश्यकता थी. जिसके लिए जिंदल उद्योग ने पूंजीपथरा के पास जमीन खरीद कर औद्योगिक पार्क बनाया गया. जहां बाहर से आकर उद्योगपतियों ने जिंदल की शर्तों पर कारखाने लगाने शुरू कर दिए. अन्य उद्योगपतियों ने रायगढ़ शहर से सटे ग्रामीण क्षेत्रों की जमीन खरीद कर उद्योग लगाने शुरू कर दिए. जिस वजह से रायगढ़ जिला कोयला, लोहा, बिजली उत्पादन के मामले में छत्तीसगढ़ के सभी जिलों को पीछे छोड़ते हुए सबसे आगे आ गया. शुरुआत में छोटे कारखाने लगाने वाले अब अपने अपने कारखानो का विस्तार करने में लगे हुए हैं. जाहिर सी बात है कि रायगढ़ जिले में लगाए गए उद्योग की वजह से उद्योगपतियों को नई पहचान मिली है.
लोगों ने उद्योगों के विस्तार से होने वाली अतिरिक्त अवैध आय को जाना समझा. पहले जिले के नेताओं, समाजसेवियों, पत्रकारों,ने उद्योगों के विस्तारीकरण की खिलाफत पर करने पर उद्योग प्रबंधन के द्वारा मुंह बंद रखने के लिए भारी भरकम राशि बांटी जाती है.इसका भान नहीं था. जनसुनवाई क्या होती है ? इससे उद्योग को क्या फायदा होता है कोई नहीं जानता था. मगर बाहर से आए हुए कुछ पर्यावरण प्रेमियों, जिन्होंने अपने जीवन में एक पेड़ भी नहीं लगाया होगा. उन्होंने जनसुनवाई का लड्डू खाना शुरू कर दिया. आरटीआई के माध्यम से उद्योग की जमीन उत्पादन क्षमता की जानकारी लेकर अवैध तरीके से उगाही शुरू कर दी.धीरे-धीरे करके उगाही करने की बातें एक कान से दूसरे कान तक पहुंचने लगी. तब लोगों ने जाना की जन सुनवाई का विरोध करने से आर्थिक फायदा हुआ करता है. इस तरह से होने वाले फायदे को नेता,अधिकारी,पत्रकार,समाजसेवी आदि सब जान लिए है. इसलिए पर्यावरण प्रेमियों की आय में कमी आई है क्योंकि उद्योग प्रबंधन के द्वारा अब हजारों लोगों को नजराना देना पड़ रहा है. अपनी आय को कम होता देख इनके द्वारा तरह-तरह के हथकंडे अपनाये जाने लगे हैं. मगर उद्योग प्रबंधन उनकी तमाम लिखा पढ़ी पर अनदेखा कर देता है क्योंकि उद्योग प्रबंधन के पास रायगढ़ से लेकर दिल्ली तक के समस्त विभागों की स्वीकृति प्राप्त होती है. करोड़ों रुपए का कारखाना लगाने वाले उद्योगपति कुछ लाख रुपए बांट देता है ताकि विरोध के स्वर न उठे. उद्योगों का विरोध करने वाले उन्ही उद्योगों में कुछ ना कुछ कार्य प्राप्त कर लेता है फिर उन्हीं उद्योगों का गुणगान करने लगता है. शहर की आम जनता ग्राम वासियों को उद्योग लगने ,विस्तार करने से कोई सरोकार नहीं रहता है. कुछ पर्यावरण प्रेमी कुछ ग्रामीणों को भड़काकर विरोध के स्वर उठाकर अपना उल्लू सीधा कर लेते हैं. ग्रामीणों की बस यही मंशा रहती है कि उद्योग प्रबंधन उनकी जमीनों का ज्यादा से ज्यादा मूल्य देवे और उद्योगों में उनके परिवार वालो को रोजगार भी उपलब्ध करवा दे
शांतिप्रिय लोगों का जिला है रायगढ़. रायगढ़ को पूरी दुनिया में सबसे शांत और सहयोगी माना जाता है. इस वजह से उद्योगपतियों औद्योगिक घरानों की पहली पसंद रायगढ़ है. रायगढ़ जिले में भूमिगत खनिज का भंडार है,जल स्रोत है,जो कभी खत्म होने वाला नहीं है. के लोग बहुत सीधे, साधे,भोले,भाले,छोटी चाहत हैं.श्रमिक संगठनो,श्रम विभाग,पर्यावरण विभाग, जिला प्रशासन,ग्राम पंचायतो को उद्योग के लगते हैं से कोई मतलब नहीं रहता है. कारखाने की ईएसपी चलाओ तो ठीक ना चलाओ तो ठीक, प्रदूषित पानी नदी नालों तालाबों में छोड़ो तो ठीक ना छोड़ो तो ठीक, सड़क के टूट जाए तो ठीक और बन जाए तो ठीक. क्रमशः अगले समाचार में








