समय समय की बात है कभी खरसिया विधानसभा क्षेत्र में रायगढ़ से 10 किलोमीटर के दायरे के गांव में सरेआम जुआ की फड़ सजती थी ।उस समय के नामी गिरामी जुआड़ी बेधक होकर काटपत्ती खेलने जाया करते थे। गांव तक पहुंचने से पहले नाल निकालने वाले रसूखदार के मुखबिरों की नजरों से होकर गुजरना पड़ता था। दुस्साहस इतना कि घर के बड़े कमरे में अनगिनत लोग ताश पीटते रहते थे और घर का दरवाजा खुला रहता था। 3 दांव पाने वाले को जुआ फड़ के मालिक को हिस्सा देना पड़ता था। निराकार फड़ में शराब की चुस्कियां लेना वर्जित नही होता था। उसके बाद में आकार लेती जुए की फड़ कलेक्टर बंगले की चारदीवारी से सटकर रेस्ट हाउस में जमने लगी थी। जिसमे सुदर्शन युवक से लेकर अधेड़ जुआड़ी भी शामिल हो सकता था। खरसिया विधानसभा क्षेत्र की ओर आंखे उठाने की हिम्मत किसी ने शायद ही की होगी। रायगढ़ लोकसभा क्षेत्र में खरसिया विधानसभा का दबदबा शुरू से ही रहा है। जिसका कारण आमजनता भी समझती है।
इन दिनों जुआ की फड़ रायगढ़ विधानसभा में बैखोफ सजने लगी है। जिसका कारण नेता जी की छोटे छोटे कार्यो में दखलंदाजी बतलाई जा रही है। वैसे भी नेता जी के प्रिय पात्र पुसौर, बरमकेला, सरिया क्षेत्रों के ही है। जिसका कारण सहपाठी, अच्छे,बुरे कर्मो में साथ निभाने वाले पुराने पड़ोसी है।अब इंसान में लगी आदतें एक बारगी तो छूटती नही है। धीरे धीरे करके जब आदतें छूटेंगी तब तक सत्ता परिवर्तन की असीम संभावनाएं है। तो क्यो न चुनाव में हुए खर्च के साथ अपना भविष्य सुरक्षित कर लिया जाये। अबकी बार चुनाव वैतरणी पार नही होगी। इसे सारे निकटम,विश्वासपात्र, समर्थक भी समझ रहे है।
कुछ इसी तरह की नरमदिली पखवाड़े पूर्व चक्रधरनगर पुलिस ने भी दिखलाई थी।जिसमे न 188 कायम की गई और न ही 144 का मामला बनाया गया। बतलाया जा रहा है कि जो 151 धारा लगाने की हवा उड़ाई गई थी। उसे भी नेता जी के फोन आने पर काट दी गई थी। जुआरियों को देर रात मुचलके पर ही छोड़ दिया गया था। थाने के बाहर शहर के नामीगिरामी असमाजिक लोगो के पालनहार डेरा जमाये बैठे थे। इन दोनों जुए के मामले में एक बात कॉमन थी कि नेता जी वही है परन्तु जुआरियों के चेहरे बदल गये थे।