रायगढ़——— पिछले दिनों भूपेश मंत्रिमंडल ने गोबर खरीदे का जो प्रस्ताव पास किया है। वह काबिले तारीफ है। सड़को पर यत्रतत्र पड़े गोबर की बहुत बड़ी उपयोगिता है। जो धीरे धीरे लोगो की समझ मे आयेगी। यहां गोबर खरीदने की कार्य योजना को उपहास बनाया जा रहा है तो दूसरी तरफ महानगरों में छोटे छोटे धार्मिक अनुष्ठान के लिए थोड़े से गोबर लाने के लिए बहुत दूर मीलों तक का सफर तय कर मोटी रकम खर्च करनी पड़ती है। महानगरों के लोग पालतू चौपायों को देखने के लिए भी तरसते होंगे। हिन्दू धर्म मे जन्म से लेकर मृत्यु तक मे गोबर की जरूरत महसूस की जाती है। शुभ कार्यो में त्यौहारो के समय घर के आगे गोबर की लिपाई शुभ माना जाता है। गोबर के उपयोग से बहुत सारे फायदे है।
गोबर से बिजली उत्पादन की जाती है। देहातो में पवनचक्की चलाई जाती है। बल्ब,पंखे आदि चलाये जाते है। गोबर खाद पेड़ पौधों,खेती की बढ़ोतरी के लिये सबसे उपयुक्त मानी जाती है। कीड़े,मच्छरों को भगाने के लिये गोबर निर्मित कंडे जलाये जाते है। पूजा,जप,तप,यज्ञ आदि में भी छेने का उपयोग किया जाता है। भोजन आदि छेने की आग पर बनाये जाने से रुचिकर एवं स्वादिष्ट बनता है।घर,आफिस आदि की शुद्धिकरण के लिये गोबर मिश्रित जल का छिड़काव कोने कोने में किया जाता है। मधुमक्खीयो आदि जहरीले कीड़ो के डंक मारने पर गोबर का लेप सर्वाधिक कारगर उपचार होता है। महंगी होती लकड़ियों,घटते वनों के कारण शव को जलाना महंगा पड़ने लगा है। कई विकासशील शहरों में मृत देह को गोबर के कंडो के माध्यम से जलाया जाता है। जिससे शरीर को जलने में देर नही लगती और साथ ही आसपास का वातावरण भी सुगन्धित हो जाता है एवं वायु प्रदूषण भी नही फैलता।
जब सरकार गोबर खरीदेगी तो जाहिर सी बात है कि उसका उपयोग कर व्यवसाय भी करेगी। गोबर खरीदने से बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध होगा। सड़को पर बैठे मवेशियों को लोग घरों में बांधकर रखेंगे एवं भरपूर आहार खिलाएंगे ताकि वह ज्यादा से ज्यादा गोबर का उत्सर्जन कर सके। इससे यातायात में अवरोध उत्पन्न करने वाले मवेशियों से भी निजात मिल जायेगी।