रायगढ़—- पूरा विश्व कोरोना संक्रमण माहमारी से जूझ रहा है। भारत मे मार्च के बाद जितने भी तीज-त्यौहार राष्ट्रीय पर्व आये वे सब माहमारी अधिनियम की भेंट चढ़ गये। चाहे वह रक्षाबंधन,जन्माष्टमी,ईद हो या फिर 26 जनवरी या किसी बड़े आदमी की जयंती हो कि पुण्यतिथि सब पर कोरोना ने अतिक्रमण कर लिया है।
अब देवो के देव महादेव के पुत्र की चतुर्थी 22 अगस्त को है। जिनके बारे में सुना जाता है कि हिंदुओं में कोई भी शुभकार्य सर्वप्रथम बगैर गणेश की पूजा के संपन्न नही किये जा सकते और नही होते है। विघ्नहर्ता के नाम से ही लोगो की जान सांसत में आ जाती है। महाराष्ट्र में बप्पा की पूजा देखने देश-विदेश से आते है। लालबाग के राजा का डंका पूरे देश मे बजता है। महाराष्ट्र के ऐतिहासिक गणेश पूजा के अलावे गजानंद की बैठकी लगभग सभी हिन्दुओ के घरो मे होती है। लोग अपने सामर्थ्य के हिसाब से मन लगाकर अपनी बला टालने की कोशिश एकदंत की आराधना करके करने की कोशिश करते है। गणपति को बुंददी के लड्डू को सर्वाधिक पसंद माना जाता है। जिसका फायदा होटल वाले भरपूर उठाते है। जो डालडा घी से बने बुंददी, लड्डुओं को देशी घी से बनाना बतलाते है। गणेश भगवान भी इन मक्कार, झूठे होटल मालिको को ही अपना आशीर्वाद प्रदान करते है। जबकि इनको बनाने वाले हलवाई आजीवन गरीब ही रहते है। अमीर और अमीर बन जाते है,गरीब और गरीब हो जाते है।
इस दफे बप्पा की पूजा अर्चना पर सरकारी आदेश प्रथम है।कोई भी कोविड 19 के नियमो की अवहेलना करते पाया जायेगा तो उसको श्रीकृष्ण की जन्मस्थली भेजा जा सकता है। वह अपनी करनी का स्वंय जिम्मेवार होगा। गणेश जी बीच बचाव करने नही आएंगे और न ही उनपर कोई अपराध दर्ज होगा।

