मूलतः उत्तर प्रदेश,बिहार,झारखंड में मनाया जाने वाला छठ माई पर्व अब देश के लगभग सभी प्रांतों में मनाया जाने लगा है। कारण की इन प्रांतों के लोग मेहनतकश होते है जो अपने परिवार का पालन पोषण करने के लिए देश के किसी भी राज्य में चले जाते है। जो कि कार्तिक अमावस्या के पांचवे दिन से शुरू हो जाता है। डूबते सूर्य को,उगते सूर्य को अर्ध्य देकर ठंडे ठंडे पानी में डुबकी लगाकर नदीयो,तालाबो,जलाशयों के किनारे छठ माई की पूजा करने की परंपरा है। माना जाता है कि ऐसा करने से मनुष्य में सूर्य जैसा तेज,ओज, बल,कांति,साहस उतपन्न होता है और धन धान्य की कमी नही होती,पुत्र प्राप्ति होती है।
मगर नासपीटे चीन ने पूरे ब्रम्हांड में कोरोना संक्रमण फैला दिया जिससे अर्थ व्यवस्था का दिवाला तो निकला ही साथ ही हंसी,खुशी,तीज,त्योहार भी प्रभावित हो गये। यदि कोई व्यक्ति बुखार पीड़ित हो गया या छींक, दिया खांस दिया तो लोग उसे सशंकित दृष्टि से देखकर सलाह देने लग जाते है। मार्च 2019 से पूरे देश मे यही चल रहा है।
गुरुवार,शुक्रवार से छठ माई का महा पर्व प्रारंभ हो रहा है। एतिहातन जिला कलेक्टर भीम सिंह ने जनता के हितार्थ 20 बिंदुओं वाली एडवाइजरी जारी कर दी है। जिसका पालन करना ही चाहिए। जान है तो जहान है।सकुशल रहे तो कई त्योहार मना सकते है,देख सकते है।
दो गज की दूरी, मास्क है जरूरी जब तक दवाई नही,तब तक कोई ढिलाई नही









