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आत्मनिर्भर भारत की कल्पना को साकार कर रही है महिलाएं

CHANDRAKANT TILLU SHARMA by CHANDRAKANT TILLU SHARMA
10th April 2021
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🔴बिहान से जुड़ी महिलाएं तरबूज की खेती कर अर्जित कर रही आर्थिक लाभ🔴चार महिलाये कमाएगी 75-75 रुपये के करीब🔴

टूटी कलम रायगढ़—– चाह को राह मिले तो मंजिले भी आसान हो जाती हैं। ऐसी ही कहानी है 04 महिलाओं की जिन्होंने अपने पैरों पर खड़े होने की चाह को बिहान के जरिये मिले प्रशिक्षण से पूरा कर दिखाया है। इन महिलाओं ने गांव में तरबूज की खेती का काम चालू किया। जिसके बदौलत आज ये अच्छा मुनाफा कमा रही है।
धरमजयगढ़ विकासखंड में ग्राम पंचायत दुर्गापुर स्थित है। यहां जय अम्बे मां महिला समूह से पूर्णिमा मंडल, रिंकी भाड़ाली, दुर्गा ढाली, अनीता भाड़ाली जुड़ी हुई है। समूह में जुडऩे से पहले इनकी आर्थिक स्थिति सही नहीं थी। अपने बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए भी काफी जद्दोजहद करना पड़ता था। एक दिन गांव में बिहान से जुड़ी चार दीदियों ने इन महिलाओं से मिलकर इन्हें बिहान के बारे में बताया। बिहान के 11 सूत्रों को विस्तार से समझाते हुए अपनी आर्थिक स्थिति कैसे सुधारें इस पर जानकारी दी। इसके साथ ही समूह अवधारणा पर 15 दिवसीय प्रशिक्षण भी महिलाओं को मिला। जिसके पश्चात चारों महिलाओं ने अपने ही पारा/टोला से 10 सदस्यों को मिलाकर एक समूह का निर्माण किया, जिसका नाम जय माँ अम्बे स्व-सहायता समूह रखा गया। समूह ने लघु एवं बड़े बचत ऋण लेकर आजीविका गतिविधि करने का निर्णय लिया। उनकी यह मेहनत अब रंग ला रही है। पूर्णिमा ने समूह के माध्यम से 40 हजार रूपये ऋण लेकर तरबूज की खेती शुरू की। उन्होंने अब तक 9 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से लगभग 8.5 टन तरबूज बिक्री कर लिया है, साथ ही 4 टन और तरबूज निकलने की संभावना है। इन्होंने पूरी लागत निकाल ली है और अब तक लगभग 36 हजार 500 रूपये की आमदनी कर ली है। आगे निकलने वाले 04 टन की फसल बेचने से जो पैसे मिलेंगे वो पूर्णिमा को शुद्ध मुनाफा होगा।
इसी प्रकार अनिता जिनकी कुल फसल लागत 70 हजार रूपये था, जिसमें से लभगभ 2 लाख 20 हजार रूपये के तरबूज बेचने के बाद लगभग 1 लाख 50 हजार रूपये लाभ अर्जित किया गया और लगभग 10 हजार रूपये के तरबूज निकलने की संभावना है। दुर्गा दीदी के द्वारा भी 30 हजार रूपये लागत लगाकर 9 रूपये प्रति किलो की दर से 54 हजार रूपये का तरबूज बेचा गया, जिससे 24 हजार रूपये शुद्ध लाभ हुआ। आगामी अनुमानित 10 हजार रूपये का और तरबूज निकलने की संभावना है। समूह में जुडने के बाद पूर्णिमा, रिंकी, अनीता, दुर्गा को सामाजिक एकता एवं आर्थिक विकास में मदद मिली है। अब मोहल्ले में महिलाओं की एकता के साथ परिवार को बेहतर जिंदगी और बच्चों को अच्छी शिक्षा देने में मदद मिलेगी। इन महिलाओं द्वारा अब स्वयं से ही अर्जित आय से अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति कर पा रहे है। समूह की गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए साप्ताहिक बैठक करने के साथ-साथ महिलायें अपने-अपने पतियों के साथ जुड़कर खेतो में भी मेहनत कर मौसमी सब्जियों एवं तरबूज लगाकर जीवन-यापन कर रहे है। जय अम्बे मां स्व-सहायता समूह की महिलाएं बिहान योजना का हृदय से धन्यवाद अर्पित करते हुए कहती हैं कि यह उनके जीवन में एक उम्मीद की एक नयी किरण बन कर आयी है।

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●प्रधान संपादक● छत्तीसगढ़ स्तर पर तेजी से आगे बढ़ रहा, रायगढ़ जिले का नंबर 1, रायगढ़ के दिल की धड़कन “✒️टूटी कलम 📱वेब पोर्टल न्यूज़” जिसका कारण आप लोगों का असीम प्रेम है। हम अपने सिद्धांतों पर चलते हैं क्योंकि “इतिहास टकराने वालों का लिखा जाता है। तलवे चाटने वालों का नहीं” इसलिए पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है। “बहते हुए पानी में मुर्दे बहा करते हैं” जिंदा लोग बहाव के विपरीत तैरकर किनारे पर आ जाते हैं। पत्रकारिता करने के लिए शेर के जैसा जिगर होना चाहिए और मन में “सोचना क्या जो भी होगा देखा जाएगा” होना चाहिए। आवत ही हरसे नहीं, 👀नैनन नहीं सनेह टिल्लू तहां न जाईए चाहे कंचन बरस मेह ।

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