टूटी कलम रायगढ़— कोरोना संक्रमण फैलने से रोकथाम के लिए जिला प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग ने शहर में दर्जन भर वैक्सीनेशन सेंटर खोल दिये है परन्तु वहां छाई अनिमियता बंद आंखों से भी दिखलाई दे सकती है। वैक्सीनेशन सेंटरों में डाक्टरो का सर्वथा अभाव देखने को मिल रहा है। जिससे वैक्सीन लगवाने वाले लोग अगले प्रिकॉशन के लिए अपने पारिवारिक डाक्टरो से सलाह मशविरा कर रहे है। सेंटरों में केवल 1 स्टाफ ही रहता है। जो दनादन सबको छिद्रित करता है। जैसा कि नियम बतलाया जाता है कि वैक्सीन लगवाने के बाद कुछ देर आराम करना पड़ता है परन्तु सेंटरों में आराम के नाम पर हराम करना होता है। सुई लगाने वाला स्टाफ मुँहबन्द कर धड़ाधड़ इंजेक्शन पर इंजेक्शन लगाते रहते है। फिलहाल इन दिनों 45+ के लोगो को टीके लगने है मगर बगैर प्रमाण पत्रों की जांच किये 30+ को भी टीका लगा दिया जा रहा है। स्टेप बाई स्टेप टीकाकरण के नियम का नर्सिंग होम में जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही है। अगर किसी कम उम्र के युवक-युवती को इंजेक्शन लगा दिया गया हो और उसकी तबियत बिगड़ जाए तो जवाबदार कौन होगा ? देखा जा रहा है कि नर्सिंग होम में रजिस्टर में 195/-₹ लिखा जाता है परन्तु 250/-₹ लिए जा रहे है। जिसकी कोई रसीद या बिल नही दिए जा रहे है। अगर इस अनुपात में नर्सिंग होम की कमाई देखी जाये तो हजारो लाखो इस आपदा काल मे नर्सिंग होम द्वारा की जा रही है।