टूटी कलम रायगढ़ —- कहते है कि भाग्य कब बदल जाये, किस्मत कब चमक जाए इसे कोई नही जानता पर किये गए कार्यो का प्रतिफल निश्चित रूप से प्राप्त होता है। इन दिनों ऐसा ही कुछ देखने को मिल रहा है। भाजपा के सभी घड़े के लोग मायूस होकर अपने आप व्यवसाय में लग लिए है। केवल पूनम सोलंकी को छोड़कर कांग्रेस के प्रति कोई आक्रमकता नही दिखला रहा है। रोशन भाई स्वर्ग सिधार गए,विजय भैया राजनीति से दूरी कर लिए है। उमेश को टिकट मिलना असंभव है। विलिस गुप्ता की पहचान एक क्षेत्र तक मे ही सिमट गई है। ऐसे में अगर किसी का नाम प्रथम पायदान पर आयेगा तो वह एकमात्र नाम पूनम सोलंकी का हो सकता है। अगर पूनम चाहे तो क्योंकि भाजपा के यूथ आईकन ओ पी चौधरी इनके नाम को लेकर अड़ सकते है।
उमेश पटेल का चुनाव प्रचार भी असर न डाल सका—- इस दफे के निगम चुनाव में पार्षद टिकट को लेकर दिबेश को कारण पूनम की टिकट कटनी तय थी मगर अंतिम क्षणों में पूनम को टिकट मिली और उन्होंने जीत का परचम लहरा दिया। कांग्रेस प्रत्यासी सरिता चौधरी के पक्ष में वोट मांगने के लिए उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल तक ने ने वार्ड में घूमकर जनसम्पर्क भी किया था परन्तु अपने स्वभाव के लिए जानी पहचानी जाने वाली पूनम के मतदाताओं पर उमेश का प्रभाव असरहीन रहा था।
नेता प्रतिपक्ष बनी पूनम — चुनाव के बाद निगम पहुंचने में हालांकि भाजपा के पार्षद कम चुनकर आये थे।अब खेल प्रतिपक्ष के नेता चुने जाने का खेला जाना था। इस खेल में एक बार फिर से ओ पी चौधरी किंग मेकर बनकर उभरे और अपनी विश्वासपात्र पूनम को नेता प्रतिपक्ष बनवा दिए। यह पद किसी भी तरह से महापौर के पद से कम नही होता है मगर प्रदेश में सरकार रहने पर ही यह पद मायने रखता है।
पूनम को अब विधायक टिकट पाने के प्रयास तेज कर देना चाहिए–जिस तेजी से पूनम का राजनीतिक ग्राफ बढ़ रहा है। उससे इनको यदि विधायक की टिकट दे दे तो आश्चर्य नही होना चाहिये। पूनम को अब शहर के साथ साथ ग्रामीण क्षेत्रों का भी रुख कर अपनी पकड़ बनानी एवं समर्थको की फौज तैयार करनी चाहिए एवं विपक्ष हमले तेज कर धरना आंदोलनों में अपनी सहभागिता बनाई रखनी चाहिये।