टूटी कलम रायगढ़– – दो दिन पूर्व हुए लोमहर्षक हत्याकांड को लेकर मीडिया वाले अपना अपना श्रेय बंटोरना चाह रहे थे थे। जबकि कोरबा के भैसमा में हुआ सामूहिक हत्याकांड पानी की तरह से साफ था। जिसपर पुलिस भी अपनी शाबासी लेने के लिए देर पर देर कर मामले को अंधे कत्ल में प्रदर्शित कर सुलझाने के गुणा भाग में लगी हुई थी। सीसीटीवी कैमरों के फुटेज खंगाले जा रहे थे। स्नेफर डॉग, फोरेंसिक एक्सपर्ट की टीम,पुलिस के आला अधिकारी,आई जी बिलासपुर रेंज,राजस्व मंत्री घटना स्थल पहुंच गए थे। केवल “टूटी कलम” समाचार पत्र एवं वेब पोर्टल ने बैठे बैठे इस हत्याकांड पर से पर्दा हटा दिया था एवं जमीन-जायदाद लेन देन से सम्बंधित हत्याकांड में मृतक हरीश उरांव के बड़े भाई को आरोपी बतला दिया था क्योंकि उसका सुबह 4 बजे उठकर खेत की ओर जाना एवं वापसी होते तक 3 लोगो की हत्या हो जाना एवं उसका बच जाना ही पर्याप्त कारण बन गया था। यदि वह खुद भी घायल हो जाता तो पुलिस जांच की सुई दूसरी दिशा में घुमाया जा सकता था। मगर खून सर चढ़ कर बोलता है। आपसी संघर्ष में घायल होकर अस्पताल में भर्ती होना। हत्यारे के गले की फांस बन गई। साथ ही अलसुबह मोबाईल से आदान प्रदान मैसेजों ने रही सही पोल खोल दी थी।
