रायगढ़ नगर पालिका निगम से होकर कांग्रेस की सतही कलह बाहर आ गई। पूर्व कमिश्नर-सभापति विवाद में सभापति बैकफुट पर आ गए थे। बजट सत्र के दौरान एमआईसी मेम्बर ने अभिभाषण देने से मना कर दिया था,कांग्रेस के धरना,प्रदर्शन,पुतला दहन आदि सभी कार्यक्रमो से दूरी रखना धीरे धीरे गुबार में बदलता गया और परिणीति यह हो गई। महापौर के कंधे पर रखकर दागी गई यह मिसाईल दूर जाकर निशाने पर लगेगी। दो-चार चापलूस किस्म के नेताओ से घिरी रहने वाली महापौर इतना बड़ा साहसिक निर्णय लेने में तभी सक्षम होगी जब उनकी पीठ पर किसी कद्दावर नेता का हाँथ होगा। अभी भी कांग्रेस के पास कई दमदार पार्षद है। जिनको उपकृत किया जा सकता है। चन्द्रमणि बरेठ, रुकमणी साहू (ननकी नोनी) श्यामलाल साहू आदि दर्जन भर से ऊपर कांग्रेस के निष्ठावान पार्षद है। फिलहाल विधायक शहर से बाहर है। जिनके आने के बाद ही निगम में चल रहे घमासान पर नियंत्रण पाया जा सकता है। वैसे कुछ लोगो ने दबी जुबान से इस खेल का सूत्रधार महामंत्री को बतलाया जा रहा है। जो सारी तिकड़म लगाकर खेल खेल रहा है।