
टूटी कलम रायगढ़-—टिल्लू शर्मा की ✍️कलम से— मीडिया में सुर्खियों के बावजूद खरसिया-रायगढ़ से होकर जाने वाले नेशनल हाईवे मार्ग 49 की हालत दिनों दिन बद से बदतर होती जा रही है। जिसमे लालची किस्म के ट्रांसपोर्टर का ही हाँथ है। जिसे केबिनेट मंत्री का वरदहस्त प्राप्त होना बतलाया जा रहा है। जो नियमो को जूते की नोक पर रखता है। नेशनल हाईवे 49 के दोनों तरफ जिस मनमाने तरीके से फ्लाईएश फेंका जा रहा है। उससे खेतिहर भूमि का रकबा घटता जा रहा है। वह दिन दूर नही होगा जब सड़क के दोनों ओर से हरियाली, पेड़,पौधे,नाले आदि गायब होकर फ्लाईएश के पहाड़ के रूप में बदल जायेंगे। क्षेत्र में खाज-खुजली,( त्वचा रोग) दमा-खांसी,टीबी,फेफड़ा रोग,श्वसन रोग,नेत्र रोग आदि के मरीजो की संख्या में इजाफा होने से कतई इंकार नहीं किया जा सकता। वहानो कि रफ्तार,हवा,अंधड़ से उड़ते फ्लाईएश के गुबार रोजाना सड़क दुर्घटनाओं का कारण बन रहा है। हाइवे किनारे ताबड़तोड़ तरीके से नजूल भूमि पर अतिक्रमण कर दुकाने,होटल,ढाबो का निर्माण दिन दहाड़े किया जा रहा है। नजूल भूमि के गढ्ढो को फ्लाईएश के द्वारा जगह जगह पटवाया जा रहा है। जिसके दूरगामी परिणाम निश्चित तौर पर घातक सिद्ध होंगे। फ्लाईएश बहकर आसपास के खेतों को बंजर बना रही है। एकबार फ्लाईएश के कारण जो जगह प्रभावित हो जायेगी। उस पर फसल उगना टेढ़ी खीर साबित होगी। वातावरण में जहर घुल रहा है। कोई भी पौधा वृक्ष नही बन सकता क्यूंकि डंपिंग किये जा रहे गर्म फ्लाईएश में तरह तरह के केमिकल्स के अवशेष रहते है जो कि मानव,पशु स्वास्थ्य के लिए हानिकारक तो होते ही सांथ ही हरीतिमा को भी निगलने में सक्षम होता है।

केबिनेट मंत्री के करीबी बतलाकर किया जाता है भयादोहन—सूत्री से मिली जानकारी के अनुसार एक स्थानीय ट्रांसपोर्टर द्वारा पूरे खरसिया विधानसभा क्षेत्र में सवर्त्र फ्लाईएश डालने की अंधेरगर्दी मचा रखी है। ग्रामीणों के विरोध करने पर अपने आप को मंत्री का करीबी बतलाकर रुआब झाड़कर बोलती बंद कर दी जाती है। शनै शनै केबिनेट मंत्री का नाम खराब हो रहा है एवं ग्रामीणों में रोष पनप रहा है। जिसका उत्तर ग्रामीण अपने वोट के रूप में दे सकते है।

विपक्ष की चुप्पी भी मिली भगत का इशारा करती है-ताज्जुब घोर आश्चर्य की बात है कि जिले के तमाम बड़े भाजपा के नेता भी इसी मार्ग से आना जाना करते है। जो विरोध या कार्रवाई करवाने की अपेक्षा शीशे चढ़े,ए सी चलते वहानो में नाकों पर रुमाल,मास्क,भगवा गमछा लपेटे,आंखों पर चश्मा चढ़ाए बगैर दाएं-बांए देखे बैठकर निकल जाते है।वह अत्यंत सोचनीय विषय है कि आखिर जनमानस किसको अपना जनप्रतिनिधि चुने और किस को त्यागे ?

अधिकारीयो को नही रहता वास्ता— जिला प्रशासन के अधिकारियों को भी जिले की व्यवस्था से कोई सरोकार नही रहता। सारे बड़े छोटे अधिकारी भी इस मार्ग से आवागमन करते है परन्तु सब कुछ देख कर भी शून्य कारवाही कर निकल जाते है क्योंकि इनका कार्यकाल भी 2-3 साल का रहता है। जिस वजह से धनकुबेर जिले से धन बंटोरने के अतिरिक्त अन्य कोई कार्य करना इनके बस से बाहर होता है। स्थानीय लोगो की समस्याओं का निराकरण करने से इनको कोई फायदा नही मिल सकता इसलिए ये भी हमाम में घुसना ही श्रेयस्कर समझते है।