
टूटी कलम —रायगढ़— टिल्लू शर्मा की ✍️ कलम से– अक्सर यह देखा जा रहा है कि टुटी फूटी,गढ्ढे युक्त ,क्षतिग्रस्त सड़को को लेकर जनाक्रोश लोगो के मन मे धरा या धराया जाता है। भारी वाहनों के मालिक यदा कदा अपने लोगो के मार्फत सड़को की दयनीय स्थिति पर,धान लगाना, बेशर्म के पौधे रोपना,2 घँटे का धरना,प्रदर्शन,आर्थिक नाकेबंदी करवाने का नाटक करवाना,जिसपर दो पक्षीय वार्ता होने पर अपनी शर्ट की कॉलर खड़ी कर,फूल कर कुप्पा हो जाने को ही संघर्ष मान लिया जाता है। जबकि आश्वासन देना मात्र झुनझुना थमा देने समान है ताकि बच्चा रोना धोना बंदकर पुनः खेल खेलने में लग जाये।

अधिकांश चौड़ी,चिकनी चुपड़ी सड़को पर दुर्घटानाये ज्यादा होती है — यह मानकर प्रदेश सरकार बढ़ती सड़क दुर्घटानाये,हो रही मौतों पर अंकुश लगाने की खातिर खराब सड़के ही बनी रहने देना चाह रही है। जिससे रफ्तार पर लगाम कसी रहेगी और आदमी भी असमय काल कलवित होने से बचे रहेंगे। चिकनी सड़को पर 100 की स्पीड से ऊपर दौड़ते वाहन 20-30 की स्पीड से ऊपर नही दौड़ाये जा सकेंगे। इससे यातायात, पुलिस,आर टी ओ,उड़नदस्ता के बल में कमी का निराकरण हो सकेगा । शायद इन्ही कारणों की वजह से प्रदेश सरकार क्षतिग्रस्त सड़को की मरम्मत को लेकर गम्भीर नही है। सड़को के अति खराब हो जाने पर बोल्डर,गिट्टी डालकर चिकनी मिट्टी की परत चढ़ा दी जाती है। जो एक बारिश में हाफ और दूसरी बारिश में साफ हो जाती है। सड़को पर पारदर्शी ,झीनी तरह की डामर की परतें चढ़ा दी जाती है ताकि लोगो की जुबानों पर कुछ समय के लिए तालाबंदी की जा सके। पानी डामर का दुश्मन है यह समझते हुए सरकार धन की ज्यादा बर्बादी नही करती एवं पेंच वर्क से काम चला लिया जाता है।

वाहनों की टूट फूट से होता है फायदा— खराब,गढ्ढे युक्त सड़को पर वाहनों के चलने से वाहनों में आये दिन टूट फूट होती रहती है। जिससे गैरेज वालो,पंचर वालो,ऑटो पार्ट्स दुकान वालो के व्यवसाय दिन दुगुनी रात चौगुनी गति से फल फूल रहे है। लोगो के रोजगार के अवसर बढ़ रहे है। पेट्रोल पंप डीजल पम्प वालो की बिक्री में तेजी से इजाफा हो रहा है। वाहनों की एवरेज कम होने के कारण वाहन तेल खा नही रहे है अपितु पी रहे है। टायर फट रहे है,गुल्ले टूट रहे है,ब्रेक डाउन हो रहे है,चेम्बर फट रहे है। यह सब देखा जाए तो दुर्घटना से देर भली होती है। इन सब कारणों बावजूद सड़क दुर्घटनाओं में वृद्धि होना। चिंता का विषय है।