टूटी कलम रायगढ़–पिछले दिनों से छत्तीसगढ़ में सियासी भूचाल मचा हुआ है। दो पुराने मित्रों के बीच अहम ब्रह्मास्मि की स्थिति निर्मित हो गई । दोनो को यह गुमान हो गया कि 15 वर्षो तक सत्ता से दूर रही कांग्रसे की वापसी उनकी वजह से हुई है। सत्ता मिलने के बाद शायद अढ़ाई अढ़ाई साल मुख्यमंत्री बनने का समझौता हुआ था और बाबा ने इसे सहर्ष स्वीकार कर प्रदेश का मुख्यमंत्री के पहले अढ़ाई साल को दाऊ यानी भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री बनने के लिए स्वीकार कर लिया एवं अढ़ाई साल सत्ता का सुख भोग चुके भूपेश बघेल मोदी की राह पर चल पड़े जो अपने से सुपर किसी को समझते ही नही है। वे शायद ओवर कॉन्फिडेंस में हो गए कि वे पार्टी से भी बढ़कर है। इसलिए अढ़ाई साल के बाद पूर्व में किये गए वादों से साफ मुकर कर शक्ति प्रदर्शन में विश्वास कर लिए। टूटी कलम समाचार
मां एवं बेटे को नागवार गुजर सकता है शक्ति प्रदर्शन—- नेहरू परिवार की यह खूबी रही है कि वे अपने से ऊपर किसी को बढ़ाना नही चाहते। पूर्व में भी अच्छे अच्छे तुर्रमखां के पर कतरे गए है। *छत्तीसगढ़ डोल रहा है,बाबा बाबा बोल रहा है* का नारा बुलंद होते ही मुख्यमंत्री अपनी शक्ति दिखलाने के लिए 50 से ऊपर विधायक,महापौर, कार्यकर्ताओ सहित दिल्ली कूच कर मां एवं बेटे को चेतावनी दे डाली की यदि प्रदेश में दुबारा सरकार लानी है तो वर्तमान सरकार को फ्री हेंड रहने दो। यह बात शायद कांग्रेस हाई कमान को पसंद नही आई। अगले सप्ताह राहुल गांधी का छत्तीसगढ़ दौरा सम्भावित है। जिस पर भी भूपेश बघेल ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री की हैसियत से राहुल गांधी को छत्तीसगढ़ आने का निमंत्रण दिया है। जबकि दिल्ली दरबार से हाजिरी देकर लौटे टी एस सिंहदेव ने कहा कि उन्हें सिर्फ काम करना है एवं हाई कमान का कहना मानना है। दूसरी तरफ बघेल कह रहे है कि उनके पास पर्याप्त विधायको का समर्थन प्राप्त है। इसका मतलब साफ है कि बघेल को हाईकमान से ज्यादा भरोसा उन विधायको पर है जो कि कांग्रेस के चुनाव चिन्ह की बदौलत विधायक चुने गए है। इस तरह का व्यक्त्व एवँ बड़बोला पन,शक्ति प्रदर्शन यह जाहिर कर रहा है कि दाऊ अपने को संगठन से ऊपर समझने लगे है। टूटी कलम
कांग्रेस की छीछालेदर हुई है—दिल्ली भागो,दिल्ली चलो अभियान से कांग्रेस की छवि धूमिल हुई है। प्रदेश के विधायको,मंत्रियों,महापौरों,कार्यकर्ताओ से दिल्ली में बेमतलब भीड़ बढ़ाई गई। सब लोग 10 जनपथ,aicc की तरफ इस उम्मीद से घूमते रहे की शायद सोनिया या राहुल गांधी का दर्शन मात्र हो सके। सैकड़ो लोगो को दिल्ली ले जाने,ठहराने,खिलाने,पिलाने एवँ वापसी में छत्तीसगढ़ सरकार ने करोड़ो रूपये किस वजह से फूंक डाले यह भी विचारणीय है। हद तो तब हो गई जब पाटन के कुछ मतदाता भी दिल्ली में घूमते पाये गए। जिनसे भूपेश बघेल ने पूछा भी की तुमन ऐति कहां आ गए ? यह सब सुनियोजित राजनीति का दृश्य था। जिससे मां-बेटे तक यह बात पहुंचाई जा सके कि यदि बघेल को मुख्यमंत्री पद से हटाया गया तो पाटन के मतदाता भी प्रदर्शन करने दिल्ली पंहुच सकते है। टूटी कलम समाचार
चलो बुलावा आया है सोनिया-राहुल ने बुलाया है-— जबकि इस तरह की कोई बात नही दिखी की दोनो मां बेटे ने छत्तीसगढ़ के विधायको,मंत्रियों,महापौरों से मिलने की इच्छा भी व्यक्त की हो ? कल यदि दिल्ली दरबार से मुख्यमंत्री के बदले जाने की घोषणा हो जाये तो जो लोग आज बघेल के सांथ दिख रहे है। वे सभी टी एस बाबा के सांथ खड़े दिखाई देंगे क्योंकि राजनीति में कोई किसी का नही होता। राहुल गांधी छत्तीसगढ़ दौरे पर आकर बदतर सड़के,नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी का हाल- बेहाल देखकर परिवर्तन करने में संकोच नही करेंगे। राजनीति पर हावी ब्यूरोक्रेसी को बारीकी से समझाया जा सकता है। टूटी कलम समाचार