टूटी कलम समाचार— पिछले कई वर्षों से यह देखा और सुना जा रहा है कि नेता लोग भगवान श्री राम एवं भगवान श्री कृष्ण के काल की तुलना नेताओ से करते है। जो किसी भी दृष्टि से सही नही है। रैली,भाषणों के दौरान नेता लोग सतयुग,द्वापरयुग के ईश्वरो की तुलना कलयुग के सत्ता लोलुप लोगो से जोड़कर चटकारे लेकर चीख चीख कर नारा लगाते है। लेकिन विडम्बना इस बात की है कि आज तक किसी भी हिन्दू नेता,हिन्दू संगठन,रामभक्त,कृष्ण भक्त ने इस नारे का विरोध नही किया कि नेताओ के साथ भगवान का नाम न जोड़ा जाये। टूटी कलम समाचार
राम राज में दूध मिले, कृष्ण राज में घी,रमन राज में दारू मिले बेचकर चावल पी
राम राज में दूध मिले कृष्ण राज में घी,बघेल राज में शराब मिले, बेचकर गोबर पी
यह सब बातें सुनकर लगता है कि अभी के युग मे जो 5 साल के लिए सत्ता का मुखिया बन जाता है। वह भगवान बन जाता है। जिनकी तुलना भगवान से की जाती है। चाहे नेता लोग आपस मे एक दूसरे की कितनी भी बुराई कर अपनी भड़ास निकाले परन्तु बीच मे हिंदुओ की आस्था के प्रतीक राम एवं कृष्ण की तुलना कर व्यंगात्मक कटाक्ष करना सही नही है। टूटी कलम समाचार
क्या नेताओ के शासनकाल की तुलना भगवान के शासनकाल से करना उचित है ? टूटी कलम समाचार