✒️ टिल्लू शर्मा टूटी कलम लेखनी का बेताज बादशाह…..मीडिया में लगातार रेत की तस्करी के समाचार चलने की वजह से प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल ने संज्ञान लेते हुए।सभी जिलों के एस पी,कलेक्टरों को कड़ी चेतावनी देते हुए। प्रकृति प्रदत्त पानी के साथ बहकर आने वाली एवं खनिज कहलाने वाली रेत (बालू) के व्यवसाय से अपना परिवार पालने पोषने वालो के व्यवसाय पर रोक लगा दी। जिस वजह से प्रदेश में 2 दिन तो पुलिस ने सारे काम छोड़कर रेत लड़े ट्रैक्टरों,हाइवा आदि वाहनों की जप्ती दिखलाकर अपने अपने ग्राफ जरूर बढ़ा लिए।पुलिस का ध्यान रेत पर हो जाने की वजह से अपराधों के ग्राफो में इजाफा हो गया। जिसका कारण प्रदेश पुलिस में बल की कमी है। पुलिस थानों को सरसरी तौर पर देखने से ऐसा लगता है मानो ये थाने न होकर आंखों का सरकारी अस्पताल हो। जिसमें चपरासी बाहर और कम्पाउंडर अंदर बैठे परिलक्षित होते है परन्तु डाक्टर (थानेदार ) गायब रहते है।टूटी कलम
रेत का मूल्य 5000 ₹ प्रति ट्रैक्टर…पुलिसिया कार्रवाई के बाद रेत के मूल्य दुगुने हो जाने की वजह से निर्माण कार्य करवा रहे लोगो को निर्माण कार्य करवाने में लगभग 50% अतिरिक्त भार वहन करना पड़ रहा है। रेत से भरे दौड़ते ट्रैक्टरों,हाइवा के चक्के थम गये है क्योंकि पुलिस को चढ़ोत्तरी देनी पड़ रही है। जिन मीडिया वालों को रेत के कारोबारियों से विज्ञापन न मिलने की पीड़ा होती थी और आल्टरनेट डेज रेत के खिलाफ धुँआ उगलते थे। वही मीडिया वाले रेत के बढ़े मूल्य पर अपनी छाती पिट रहे है क्यूंकि बड़े रेत व्यवसाई विज्ञापनपन दाताओं के व्यवसाय में तेजी आ गई है। जिन्होंने ने अपने आशियाना मुफ्त की गिट्टी,रेत,ईंट से बनवा लिए वे सब चुप्पी साधे हुए है मगर नव ब्लैकमेलरों के पेट मे पीड़ा हो रही है. टूटी कलम
