✒️टिल्लू शर्मा टूटी कलम रायगढ़….परसो रात जिला न्यायालय में अधिवक्ता संघ के चुनाव की मतगणना के दौरान अजीब तरह की स्थिति निर्मित हो गई थी। वीडियो बना रहे कुछ युवा उत्साही पत्रकारों से भरपूर अभद्र व्यवहार कर मोबाईल भी छीनने की कोशिश भी की गई. हुआ यूं कि मतगणना स्थल पर अधिकांश अधिवक्ता एवं एक माह पूर्व जिन मद्प्रेमी वकीलों जितेंद्र शर्मा,कोमल साहू,दीपक मोड़क आदि के द्वारा राजस्व न्यायालय में बखेड़ा उतपन्न कर जनता की सहानुभूति बंटोरी गई थी। इन वकीलों ने न्यायालय परिसर की गरिमा को तार तार करते हुए काफी उत्पात मचाते हुए आपस मे गुत्थम गुथा का कार्यक्रम काफी देर तक जारी रखा एवं सारी भद्रता को पार करते हुए अश्लील गालियों की बौछारें जारी रखी। टूटी कलम
कोमल साहु अधिवक्ता बार रूम में लगे केबल वायर को खिंचखाच कर पंखे पर लटकने को आमादा हो गया। इन सब उत्पात की पत्रकारों ने रिकॉर्डिग करनी चाही तो अपने आपको कुशाग्र बुद्धि कहलाने वाले वेब पोर्टल के संवाददाता को किसी ने कहा कैमरा बंद करो बे,अधिवक्ता जितेंद्र शर्मा ने तो सारी हदें पार करते हुए कहा कि तुम मुझे नही पहचानते क्या,मारूंगा 8,10 लात तब समझ जाओगे,जब हम तहसीलदार को कुछ नही समझते तो तुम क्या चीज हो बोलते हुए अपशब्दों का भरपूर प्रयोग किया। टूटी कलम
इतना अपमान सहकर चुप्पी साध लेने से बेहतर है पत्रकारिता छोड़ देना…..पिछले एक माह से पत्रकार आंदोलनरत अधिवक्ताओं के सांथ कंधा से कंधा मिलाकर चल रहे है। जो वकीलों की खबरों को भी निरीह प्राणी समझकर बढ़ा चढ़ा कर लिखते नही थकते थे। उन्ही के कैमरामैंनो की भरपूर बेइज्जती की गई। दिनभर आंदोलन स्थल पर ड्यूटी बजाने वाले मीडिया कर्मियों को शायद अब समझ मे आ जाना चाहिए कि गत 08 फरवरी को तहसील कार्यालय में विवाद किन कारणों से पनपा होगा। पीड़ित पत्रकारों को प्रेस क्लब के अध्यक्ष “हेमंत थवाईत” की शरण मे जाकर सलाह मशविरा लेना चाहिए या फिर वकीलों पर कार्रवाई करने की मांग करने की खातिर “महात्मा गांधी” के चरणों तले धरना दे देना चाहिए।टूटी कलम
न्यायधीशों को चाहिए कि न्यायालय परिसर की गरिमा को मजाक बनाने वाले अधिवक्ताओं के लाइसेंस निरस्त कर उचित एवं कड़े कदम उठाए जाने चाहिए एवं न्यायालय परिसर में शराब पीकर आने वालों का प्रवेश निषेध कर देना चाहिए। टूटी कलम
हमारे पास मतगणना स्थल के तमाम वीडियो है परन्तु मर्यादा की वजह से हम उसे वायरल नही कर रहे है। टूटी कलम
