✒️टिल्लू शर्मा टूटी कलम रायगढ़ का विश्लेषण……..रायगढ़ शहर में घटित तीन हाईप्रोफाइल मामले है और इन तीनो मामले की कहानी भी बिल्कुल जुदा है परन्तु गिनती भर लोगो का एक ही मकसद रहता है कि बस पुलिस बगैर जांच पड़ताल,गवाहों के अनावेदक को उठाकर जेल दाखिल करवा दे। जबकि ऐसे लोगो की इनसे न जान पहचान रहती है और न कोई मतलब रहता है। जो भी विज्ञापन नही देता उसे जेल में डाल देना ही इनकी लेखनी का सार होता है।झूठ एवं सच जानने के लिए कई लोगो की आंखों पर पर्दा पड़ा रहता है।बहती नदी में हाथ धोना,नदी की धार के साथ बहना मुर्दो का कार्य होता है। जिंदा लोग नदी की धार के विपरीत बहकर अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेते है। चंद कागज के टुकड़े न मिलने पर अपना आपा खोकर लोग परिवाद का कारण बन जाते है और बाद में किसी मध्यस्थता करवाने वाले के माध्यम से शरणागत हो जाने में भी शर्म,झिझक महसूस नही करते। टूटी कलम
उमेश अग्रवाल का मामला….उक्त मामला प्रदेश स्तर के हाईप्रोफाइल मामलों में से एक है क्यूंकि इससे उमेश के द्वारा संघ एवँ भाजपा के लिए की गई मेहनत पर पानी फिर सकता था एवँ उनका समाजिक एवं राजनीतिक जीवन समाप्त हो सकता था परन्तु उमेश की वास्तविकता एवँ अडिग रहने पर उनको घेरने वाले स्वंय घेरा गए। जिसका परिणाम सामने “शंकुन्तला रतेरिया एवँ “आशीष ताम्रकार” को भाजपा से निष्कासन के रूप में आ चुका है। खैरागढ़ चुनाव में मिली हार के बाद प्रदेश भाजपा आलाकमान भी शायद रौद्र रूप मे आकर उमेश अग्रवाल को घेरने वालो को भी पार्टी से कब निष्कासित कर दे । यह सोचकर चक्रव्यूह की रचना करने वालो में असमंजस की स्तिथि निर्मित है। उमेश अग्रवाल की संभावित गिरफ्तारी को लेकर जितनी खुशी मास्टरमाइंडो न होने वाली उससे ज्यादा चटकारे मीडिया में लिए जाने लगे थे। 02 लोगो के निष्कासन एवं कुछ अन्य लोगो का नाम लिस्ट में होने की खबर पर सब के सब शांत बैठ गए एवँ श्री राम शोभायात्रा के दौरान दमखम दिखलाने वाले चेहरे भी लुप्त समान रहे। टूटी कलम
उमेश ने बगैर धनबल दिखलाया जनबल.…. अपने स्वभाव के अनुरूप कंजूस सेठ उमेश पर लगे छेड़छाड़ आरोप से उन लोगो की बांछे यह सोचकर खिल उठी थी कि शायद मामले को दबाने के लिए वे तिजोरी का एक दराज खोल देंगे।इसलिए मीडिया में उमेश को आरोपी ठहराने की मानो अंधड़ सा चल गया था। मगर उमेश ठहरे पक्के और कुशल व्यवसाई है। जो इनकी चिंता न करते हुए लोगो की आशाओं के विरुद्ध ताल ठोककर प्रेस वार्ता आयोजित कर कहे कि यदि उन पर लगे आरोप सिद्ध हो जाएंगे तो वे राजनीति से संन्यास ले लेंगे एवं उन्होंने अपने ऊपर दर्ज 354 के मामले के विरुद्ध सिटी कोतवाली का घेराव करवा दिया। जिसमें हजारों भाजपाई उपस्थित हुए थे। चाहे लोग इसे पैसे देकर लाने की अफवाह क्यो न फैलाए हो। उमेश ने निचले स्तर पर धन न लुटाकर ऊपर लुटाने की समझदारी दिखलाई । जिस वजह से भाजपा के कद्दावर नेता, महामंत्री, हिन्दूवादी समझे जाने वाले नेता “आशीष ताम्रकार” को पार्टी ने साजिश रचने के आरोप लगाकर पार्टी से निष्कासित कर दिया। जिसके बाद एक ही हल्ला के गुरुका विजय रथ वही रुक गया और उमेश अपनी अस्मिता बचाने में सफल हो गए। उनके द्वारा न्यायालय में दिया गया। जमानत आवेदन खारिज कर दिया गया। जो कि एक कानूनी प्रक्रिया है।इधर उमेश स्वास्थ्यगत कारणों से स्वास्थ्य लाभ ले रहे थे उधर उनके फरार होने की अफवाह जमकर उड़ाई गई थी। भला इतनी बड़ी रियासत, उद्योग छोड़कर वे क्यो फरार होने लगे। उमेश अपने विरुद्ध षड्यंत्र करने वालो को बेनकाब करने में लग गये। जिससे उठा राजनीति बवंडर थम सा गया। अभी भी विज्ञापन न मिलने से पीड़ित असन्तुष्ट इक्के दुक्के लोग रुक रुक कर हमला कर रहे है। टूटी कलम
उमेश अग्रवाल का खूब प्रचार हो गया….भाजपा से रायगढ़ विधायकी पद के दावेदार उमेश अग्रवाल को उनके प्रतिद्वंद्वीयो ने इतना हाईलाइट कर दिया कि उन्हें अब अपना प्रचार प्रसार करने पहचान बतलाने में दिक्कत नही होगी। वे कहेंगे मैं वही उमेश हूँ जिसके खिलाफ चक्रव्यूह बनाया गया था।









