✒️ टिल्लू शर्मा टूटी कलम रायगढ़ जिले में गर्मी ने शुरुआत से ही कहर बरपाना शुरू कर दिया है।हालात ये है कि दोपहर 12 बजे के बाद घर से बाहर निकलना मुश्किल हो रहा है।सड़के जैसे किसी गर्म तवे के जैसे आग उगल रही हो।अभी से तापमान 45 डिग्री तक जा पहुचा है।ऐसे में आम लोगो को काफी कठनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। सेठ किरोड़ीमल की नगरी रायगढ़ अपने सेवा भाव और दानशीलता के लिए प्रसिद्ध है।गर्मियों में यहाँ जगह-जगह शीतल ठंडे पेयजल की व्यवस्था रहती है।करोनाकाल में जहाँ सभी घरों में रहने पर मजबूर थे।अब दो वर्ष बाद फिर एक नई उमंग और आशा लौट आयी है।जन जीवन सामान्य हो रहा है।रायगढ़ नगर के लोगो को फिर आगे आकर अपनी सेवा भावी गतिविधियों को प्रभाव में लाना चईये। करोना काल के पूर्व कुछ समाजसेवी संस्था ने शहर में जगह-जगह बड़ी संख्या में वाटर कूलर लगवाए थे।आज वर्तमान में देखा जाये तो वे सब जर्जर स्थित में है कुछ एक्का-दुक्का वाटर कूलर चालू है।सामाजिक संस्थाओं चाहिए कि वे फिर से एक अभियान के तहत उन वाटर कूलर को चालू कराए या नया वाटर कूलर सार्वजनिक स्थानों में उपलब्ध कराए जिससे आम लोगो को थोड़ी राहत मिल सके। नगर में टटरा लगा कर गर्मियों में जगह-जगह मटकी की व्यवस्था रहती थी।अब समय आ गया है कि फिर से ऐसे टटरा वाले छोटे-छोटे प्याऊ सब चौक,चौराहों, रेलवे स्टेशन,बस स्टैंड आदि भीड़भाड़ वाले स्थानों पर अस्थायी रूप से शीतल जल की व्यवस्था की जानी चाहिए।
भीषण गर्मी को देखते हुए जिला प्रशासन और निगम प्रशासन भी जगह जगह बने छायादार सेड व बैठने की व्यवस्था की सुधि ले। जिससे नगर में आने वाले मुसाफिरों को कुछ राहत मिल सके। टूटी कलम
निगानिया परिवार,सिख्ख समुदाय,सिंध समाज करते है मानव सेवा….. शहर में मानव सेवा के मामले में ये लोग अग्रणी रहते है। जो स्वयं दिनभर भीषण गर्मी में स्टाल लगाकर कभी,शर्बत,कभी छाछ, कभी नींबू पानी, कभी शीतल जल आदि से मानव कंठ को तृप्त कर लोगो का आशीर्वाद बंटोरते है। यह परंपरा वर्षो से चली आ रही है। जो कोरोना के कारण से नही हो पाया था। अब लगभग 2 माह भीषण गर्मी रहेगी। इसलिए अब ये लोग भी कमर कसकर मानव सेवा करने लू के थपेड़े खाने तैयार हो सकते है। टूटी कलम









