भारतीय संविधान में घटते क्रम से बढ़ते क्रम पर अधिकारों को वर्गीकृत किया गया है जो बढ़ते क्रम से घटते घटते शून्य पर आ जाता है।राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री के जारी आदेश नीचे आते आते अवहेलना का कारण बन जाते है। इसका उदाहरण इस समय देखने को मिल रहा है। बड़े नेताओं अधिकारियों के आदेशों की सरेआम धज्जियां उड़ रही है।कोरोना वायरस को लेकर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, कलेक्टर,पुलिस अधीक्षक के द्वारा दी जा रही गाइडलाइन का 10% भी पालन नही हो रहा है। इनके आदेश कचरे के डिब्बे की शोभा बढ़ाने का कार्य कर रहे है। नित नये जारी होने वाले आदेशो का कोई औचित्य नही रहता है सिवाय अखबारों को काला करने के,सैकड़ो दर्जनो ऐसे आदेश होंगे जिनकी खिल्ली प्रतिदिन उड़ रही है और उनका पालन नही हो रहा है । जैसे कि कोई भी खाद्य सामग्री पुलिस एवं स्थानीय निकायों के द्वारा ही कि जा सकेगी परन्तु लोग अब भी 1/2 लीटर चाय या 1 कार्टून पानी या 1 दर्जन बिस्किट या पका हुआ भोजन लेकर पूरे शहर का भ्रमण करते आसानी से दिखाई दे रहे है। कई लोगो ने पशुओं के नाम पर घर से निकलकर घूमने का नया फंडा अपना लिया है।सुबह शाम जब भी तफरीह करने का दिल करे तो थोड़ा आटा या थोड़ी घांस या थोड़ी पैरा कुट्टी रख कर पूरे 48 वार्ड घूम कर जगह जगह सार्वजनिक स्थलों में पुलिस के सामने पशुओं को चारा खिलाने का दिखावा कर सीना 56 इंच कर लेते है।वास्तविक्ता इसके विपरीत है डंडो,पत्थरो,पानी डालकर भगाये जाने वाले ये निरीह पशु घुमक्कडों की आई डी बन गये है।भगवान जिसको जन्म देता है तो उसकी खानपान की व्यवस्था भी करता है। मनुष्य को तो मौका मिलना चाहिए दिखावा करने का एवं सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का जबकि बगैर फोटो खिंचवाए,बगैर अखबारों में विज्ञप्तियो दिए,सेवा से लबरेज लोगो की संख्या इन समाजसेवियों से अपेक्षाकृत अधिक है। घर मे माता-पिता,भाई-बहन,पत्नी,बच्चे रिश्तेदारो की चिंता से ज्यादा आवारा पशुओं की चिंता करने वाले लोगो की संख्या दिनप्रतिदिन बढ़ रही है।एक किलो टॉफी लेकर पिछले 20 दिनों से बांटी जा रही है।मगर चाकलेट खत्म होने का नाम ही नही ले रही है।
इस दिशा में पुलिस कप्तान को कोई ठोस कदम उठाना ही पड़ेगा तब जा कर घुमक्कडों को नियंत्रित किया जा सकता है। कप्तान सहाब की नई सोचो एवं तगड़ी घेराबंदी का ही सुखद परिणाम है कि रायगढ़ जिला कोरोना माहमारी के संक्रमण से अछूता है वर्ना जिस तरह से यहां के लोग दिखावा करने से बाज नही आ रहे है।उससे 50%संक्रमण फैलने के अवसर हो सकते है।कप्तान की कार्यक्षमता से लोग बहुत ज्यादा प्रभावित हो रहे है।उनका एक पैर रायगढ़ में तो एक पैर सारंगढ़,सरिया,बरमकेला,पुसौर,खरसिया,घरघोड़ा, लैलूंगा,तमनार,धरमजयगढ़ आदि पर रहता है।दिनभर की भागदौड़, मानसिक ,शारिरिक श्रम के पश्चात घर लौटने पर भी एकांतवास में रहना किसी सजा से कम नही है।
फिर भी लोग इनसे सिख लेने की अपेक्षा बेलगाम होकर नियम कानून की धज्जियां उड़ा रहे है जो किसी भी दशा में शहर के लिए उचित नही कहा जा सकता।मीडिया का क्या है उसे अपने बॉस का ख्याल एवं अखबारों की खाली जगह भरनी पड़ती है।अभी यह देखा जा रहा है कि अखबारों में समाचार कम एवं प्रेस विज्ञप्ति ज्यादा छप रही है।छपे की क्यो नही भई अभी लाकडाउन के चलते सारे सरकारी कार्यालय बंद हो जाने की वजह से दैनिक आवक,उगाही जो रुक गई है।