🏹 टिल्लू शर्मा 🖋️टूटी कलम रायगढ़ ……… प्रायः यह देखा जा रहा है कि पुलिस के द्वारा छोटे- बड़े किसी भी मामले में आरोपियों को पकड़कर कंट्रोल रूम में प्रेस के समक्ष पेश कर फोटो सेशन आदि करवा दिए जाते हैं। वही पुलिस के डीएसआर में भी आरोपियों के फोटो सहित समाचार वायरल करने हेतु दे दी जाते हैं। जिससे कई अति उत्साहित मीडिया वाले अपनी शान समझते हुए आरोपियों की फोटो सहित समाचार चला देते हैं ताकि उनको लोग जानने पहचानने लग जाए। फोटो सेशन एवं फोटो वायरल करना कभी भी गंभीर घटना का कारण हो सकता है। क्योंकि अधिकतर मामलों में यह देखा गया है कि पुलिस के द्वारा जिन्हे आरोपी के रूप में दिखलाया गया है जाता है । वे अधिकांश मामलों में न्यायालय से मजबूत एवं ठोस साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिए जाते हैं। ऐसे में यदि कोई आरोपी बरी होकर बदला लेने की मानसिकता पाल ले लो इसमें पुलिस का नहीं अपितु मीडिया कर्मी का बहुत बड़ा नुकसान कभी भी हो सकता है। नुकसान होने के पश्चात पुलिस भी गलती मीडिया वालों की ही साबित कर देगी। इसलिए मीडिया वालों को इस तरह के काम से दूरी बनाकर रखना चाहिए कि वे न्यायधीश बनकर आरोपी को अपराधी साबित करने की गलतियां न दोहराएं क्योंकि शेर को कभी भी सवा शेर मिल सकता है। पुलिस को भी चाहिए की मात्र आरोपीयो को अपराधी साबित करने वाली फोटो वायरल वाले समाचार मीडिया में देने से परहेज करें। टूटी कलम