🫵टिल्लू शर्मा ✒️ टूटी कलम रायगढ़ छत्तीसगढ़… दुर्गा पूजा जिस विधि विधान से की जाती है उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण होता है दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन करना. शहर के दूसरी ओर कमजोर एवं पिछड़े समझे जाने वाले मोहल्लों में विराजित दुर्गा प्रतिमाओं का बहुत ही आकर्षक ढंग से पूरे तामझाम के साथ डीजे की धुन पर थिरकते नाचते युवकों की टोली के साथ युवतियों एवं महिलाओं की उपस्थित के साथ विसर्जन यात्रा निकाली गई. मिनीमाता चौक से निकाली गई मां दुर्गा की प्रतिमा नए शनि मंदिर होते हुए रामनिवास टॉकीज चौक पर पहुंची जहां पर जमकर पटाखे फोड़े गए गुलाल उड़ाया गया एवं ताबड़तोड़ डांस किया गया। जिसके बाद दुर्गा प्रतिमा को विसर्जन के लिए गोपी टॉकीज मार्ग होते हुए ले जाया गया। खुली ट्रैक्टर पर सवार मां दुर्गा की प्रतिमा का दर्शन प्रत्येक आने जाने वाले लोगों एवं व्यवसाई बंधुओं ने किया और जिसकी खूब सराहाना की गई लोगों के द्वारा यह कहते सुना गया की दुर्गा का विसर्जन इसी तरह से किया जाना चाहिए। लोगो के द्वारा यह कहते भी सुने गए की इस तरह की समितियों को चंदा एवं सहयोग दिया जाना उपयोगी होता है एवं चंदे का सही उपयोगी इसी तरह किया जाना चाहिए। विसर्जन यात्रा के दौरान समिति के सारे सदस्य एक बराबर दिखे जिसमें ना कोई छोटा दिखा ना कोई बड़ा दिखा और किसी ने यह जतलाने की भी कोशिश नहीं की की इस दुर्गा पूजा आयोजन समिति का कर्ता-धर्ता मैं ही हूं। युवती या एवं महिलाएं भी बेफिक्री से डांस करती देखी गई। समिति के सदस्य ने बताया कि उनके द्वारा दुर्गा प्रतिमा का विसर्जन करने के लिए मजदूरों की मदद न लेकर सब मिलजुल कर विसर्जन करने जा रहे हैं। सत्यम शिवम सुंदरम सेवा समिति के द्वारा सप्तमी ,अष्टमी ,नवमी को सांस्कृतिक कार्यक्रम भी करवाए गए एवं गरबा का भी आयोजन किया गया था। जिसमें भाग लेने के लिए किसी भी तरह का कोई नियम कानून कायदा नहीं बनाया गया था। जो माता की भक्ति में सराबोर और होना चाहते थे वे गरबा में शामिल हुए। चाहे वे धनाढ्य घर की महिला युवती हो अथवा दिहाड़ी मजदूरी का काम करने वाली , कामवाली ही क्यों ना हो। मंच पर माता जगत जननी के साक्षात रुप में कन्या विराजित थी और शेर का चोला ओढ़े युवक माता के आमने सामने मंडरा रहा था जो कि काफी आकर्षक रहा। इंसाफ चीजों को देखकर लोगों ने अगली दफा और बेहतरीन तरीके से दुर्गा पूजा आयोजन करने का आशीर्वाद प्रदान किया एवं इसके लिए हर तरह का सहयोग देने की बात भी कही गई। यह सब देख कर अब लगने लगा है कि माता के पंडालों का दर्शन करने बीच शहर के लोग पिछड़े एवं कमजोर समझे जाने वाले मोह्हलो का भ्रमण कार प्रसनचित होंगे जहां उन्हें अलग-अलग तरह के अविस्मरणीय कार्यक्रम, सजावट ,प्रतिमा, पंडाल देखने को मिलेंगे।