✍️टिल्लू शर्मा टूटी कलम ✍️रायगढ़ छत्तीसगढ़… गत दिनों समाज विशेष के युवा व्यवसाई मयंक मित्तल (मिट्ठू) के द्वारा आत्महत्या कर लेने के पश्चात परिजनों एवं लोगों के बहकावे में आकर मीडिया एवं सोशल मीडिया के माध्यम से पुलिस, सट्टा के खाईवाल ,बड़े होटल व्यवसाईयो पार लगातार दबाव बनाकर इन सब को कटघरे में खड़े करने का प्रयास किया जा रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यह सब खेल मंदबुद्धि के ज्ञानी के द्वारा खेला जा रहा है। शव यात्रा के दौरान तख्ती लेकर प्रदर्शन करना सर्व समाज की बैठक आयोजित करना कैंडल मार्च निकालना यह सब संभवत पुलिस को विवेचना से जांच भटकाने का प्रयास हो सकता है। जन चर्चा के अनुसार मिट्ठू क्रिकेट के सट्टे एवं जुआ के खेल का कोई नया खिलाड़ी नहीं था उसके द्वारा लंबे समय से इन दोनों के प्रति विशेष लगाव होना बताया जा रहा है।
फांसी का फंदा हुक में बहुत पहले से ही बांधा जा चुका था…. आंखों देखे सीसीटीवी फुटेज के अनुसार मिट्ठू अपने गोदाम में जाकर फांसी के फंदे को गले में बांधने का कई बार प्रयास करता है और उसमें वह सफल नहीं हो पाता है जिसके पश्चात उसके द्वारा हुक में लटकी साड़ी को गले में लपेटकर अपने पैरों को पीछे की ओर मोड़ लिया जाता है। जिससे वह हवा में झूल जाता है। सीसीटीवी फुटेज में यह भी देखा गया कि मिट्ठू के द्वारा अपने हाथों की मूर्ति को कसकर बांध लिया जाता है. यह सब देखने के पश्चात यह समझ में आया की मिट्ठू किसी भी रूप में जिंदा नहीं रहना चाहता था और अपने प्राण त्याग देना चाहता था. सीसीटीवी फुटेज में या देखने को नहीं मिला कि फर्श से 13 – 14 फीट ऊपर लगे हुक में मिट्ठू के द्वारा साड़ी कब बांधी गई थी ? पुलिस के द्वारा यह जांच करना होगा कि कहीं मिट्ठू ने अपनी जान देने से एक दो दिन पूर्व ही तो हुक में साड़ी नहीं बांधकर तैयारी कर ली गई थी ताकि समय आने पर उसके द्वारा आत्महत्या को आसानी से अंजाम दिया जा सके। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मृतक ने कुछ दिन पूर्व ही 25 30 लाख रुपए नगद जीते थे। जिसके बाद मिट्ठू में और रकम जीतने का लालच आ गया था। जिस वजह से वह अपने मूल व्यवसाय को छोड़कर जुआ और क्रिकेट के सट्टे की तरफ पूरा ध्यान देने लगा था। जिस वजह से वह लगातार नगद रकम हारता चला गया और जीती हुई रकम पूरी हारने के पश्चात उधार में भी मोटी रकम हार गया था। हारी हुई रकम वापसी के लिए सट्टा खाईवाल एवं जुआरीयों के दबाव बढ़ने लगे थे जिस वजह से मिट्ठू मानसिक रूप से परेशान रहने लगा था।
परिजनों ने आर्थिक सहायता देने में असमर्थता जताई थी…. मृतक मिट्ठू के अड़ोसी पड़ोसी से मिली जानकारी के अनुसार मिट्ठू को जुआ सट्टा की लत बुरी तरह लग चुकी थी जिस वजह से वह कुछ माह पूर्व ही कई लाख रुपए हारा था जिसका भुगतान उसके परिजनों ने कर उसे आगे से जुआ सट्टा ना खेलने की समझाइश भी दी थी। कुछ दिन अपनी आदतों को विराम देने के पश्चात मिट्ठू के कदम फिर उसी दिशा में चल पड़े थे। कुछ दिन पूर्व उसने कई लाख रुपए जीते थे जिस वजह से उसके अंदर अति आत्मविश्वास समाहित हो चुका था। दीपावली से पूर्व 25 लाख ₹ एवं दीपावली की रात को लगभग 60 लाख ₹ वह हार गया था. अड़ोसी पड़ोसी ने बताया कि उस पर लगभग दो करोड़ रुपए का कर्जा हो चुका था। जिसे चुकाने के लिए उसने अपने परिजनों से मदद मांगी थी किंतु परिजनों के द्वारा इतनी बड़ी धन राशि उपलब्ध ना करवाने की असमर्थता जतलाकर एवं उसे अपने हिस्से की दुकान एवं घर बेचने की सलाह दी गई थी। जिसके बाद मिट्ठू अत्यधिक परेशान हो गया था क्योंकि घर एवं दुकान इतनी जल्दी और इतनी आसानी से नहीं बिकने वाले थे और लोगों के वसूली के तगादे तेज होते जा रहे थे। मिट्ठू के द्वारा आत्महत्या कर लेने के मामले में शायद वह स्वयं ही दोषी था क्योंकि जिनकी रकम वह लग रहा था उनके द्वारा तगादा करना जायज भी था एवं परिजनों के द्वारा असमर्थता जतलाना उनकी अपनी मजबूरी रही होगी। बरहाल मिट्ठू अब इस दुनिया में नहीं रहा और उसको न्याय दिलवाने की राजनीति करने वाले लोग कुछ दिनों बाद अपने अपने व्यवसाय में रम जाएंगे और मिट्ठू को भूल जाएंगे। आत्महत्या के लिए प्रेरित करने के अपराध में विरुद्ध किए गए युवक जेल से बाहर आकर पुनः खेल खिलवाने में लग जाएंगे। पुलिस को उन लोगों को तलाशना होगा जो मिट्ठू के साथ जुआ एवं सट्टे में भागीदारी रखे हुए थे।