🌀टिल्लू शर्मा ✒️टूटी कलम रायगढ़ रायगढ़ में आने वाली भाजपा की परिवर्तन यात्रा को लेकर माहौल कुछ इस कदर बनाया गया था। मानो यात्रा में हजारों लोग शामिल रहेंगे। जिससे भाजपा के पक्ष में चुनावी माहौल बन सकेगा। परंतु
भाजपा की परिवर्तन यात्रा को जंगल ही जंगल होते हुए शहर के सुनसान मार्ग से विदा कर भाजपाइयों ने अपना पल्ला झाड़ लिया। तमनार से निकली परिवर्तन यात्रा जंगली क्षेत्र होते हुए रायगढ़ शहर के अंतिम कोने बोईरदादार पहुंची। जिसे सेठ किरोड़ीमल चौक पहुंचाकर भाजपाई नौ दो ग्यारह हो गए। परिवर्तन यात्रा में एक मात्र बड़ा चेहरा नारायण चंदेल का रहा और रायगढ़ से भाजपा के संभावित प्रत्याशी ओमप्रकाश चौधरी के न रहने पर जन चर्चा का विषय बन गया। परिवर्तन रैली में इन दिनों धनबल के जोर पर राजनीति करने वाले और मीडिया को खरीद कर रखने वाले सुनील रामदास काफी चहकते नजर आए। सुनील रामदास के द्वारा धनबल के जोर पर स्वयं को कट्टर भाजपाई जतलाने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है और मीडिया के द्वारा चंद रुपयों की खातिर सुनील रामदास को रायगढ़ जिले का सबसे बड़ा भाजपा नेता बनाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त गुरपाल भल्ला भी विधायकी की टिकट पाने के लिए साम दाम दंड भेद की नीति पर चल रहे है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगमन पर मोदी जी के द्वारा गुरुपाल भल्ला के कंधे पर हाथ रखना डाउट आफ बेनिफिट का लाभ मिलना हो सकता है। परिवर्तन यात्रा की बस पर चढ़े रथ्थु गुप्ता, शक्ति अग्रवाल,आदि अपना चेहरा जनता के सामने लाते दिखे। विश्व की सबसे बड़ी पार्टी कहलाने वाली भाजपा की परिवर्तन रैली से यदि कर्मा पार्टी, ढोल पार्टी को हटा दिया जाए तो किसी की बारात निकलने से ज्यादा लोग शामिल नहीं दिखे।
भाजपा कार्यकर्ताओं के द्वारा परिवर्तन यात्रा से क्यों दूरी बनाई गई एवम परिवर्तन यात्रा को शहर से ना निकाल कर पतली गली से निकाल देना समझ से परे है। तमनार से रायगढ़ और रायगढ़ से खरसिया जाने वाला रूटीन चार्ट किसके द्वारा बनाया गया था और किसके द्वारा फाइनल किया गया था यह भाजपा पार्टी के लिए जांच का विषय है। केंद्र में सत्तारूढ़ पूर्ण बहुमत वाली भाजपा सरकार के इतने बुरे दिन रायगढ़ में देखने को मिलेंगे यह कल्पना किसी ने भी नहीं की होगी।
छोटे-छोटे जन आंदोलन धरना प्रदर्शन के समय परिलक्षित होने वाले रायगढ़ विधानसभा के संभावित प्रत्याशी कहर बनकर टूट पड़ने वाले इस्तीफा देकर राजनीति में कूद पड़ने वाले पूर्व कलेक्टर ओपी चौधरी का परिवर्तन यात्रा में शामिल न होना जन चर्चा का विषय बन चुका है। पिछले दिनों भाजपा एवं कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के बीच सर्व समाज में ओ पी चौधरी को मुखिया बनाने के नाम पर हुई तकरार के बाद से ओ पी चौधरी रायगढ़ में नजर नहीं आ रहे हैं। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री तेली एवं नारायण चंदेल की प्रेस वार्ता में भी ओ पी चौधरी का ना दिखाई देने के बहुत बड़े मायने निकाले जा सकते है. जिस तरह से सुनील रामदास के द्वारा स्वयं को फ्रंटलाइन पर रखकर ओ पी को पीछे छोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। यह राजनीतिक दृष्टि से किसी भी रूप में सही नहीं है क्योंकि सुनील रामदास कभी ओ पी चौधरी के समक्ष पहुंच ही नहीं सकते. यह सब देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि भाजपा में इन दिनों कुछ ठीक नहीं चल रहा है. यह रस्साकशी आने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा को भारी पड़ सकती है.