पूर्व में भी कई आला अधिकारियों पर तरह तरह के संगीन आरोप लगते रहे है। जो किसी अफसर की छवि धूमिल करने के लिये काफी कारगर साबित हुए है।
अभी एक ताजा मामला जांजगीर जिले के पूर्व कलेक्टर जे पी पाठक का सामने आया है जिससे पूरे प्रदेश में काफी बड़ा तूफान मच गया है। सरकार से लेकर अधिकारी भी सकते कि स्थिति में आकर हतप्रभ हो गये है।
हुआ यूं कि जांजगीर जिले के मालखरौदा की 32 वर्षीय पूर्व बी डी सी महिला ने पूर्व कलेक्टर जे पी पाठक पर कलेक्टर चेम्बर में कई बार उसके साथ शारीरिक सम्बन्ध बनाने पर एवं उसको नौकरी न दिलवाने पर बलात्कार करने का आरोप लगाकर पुलिस अधीक्षक पारुल माथुर के समक्ष यौन उत्पीड़न की रिपोर्ट दर्ज करवाते हुए अपने एवं कलेक्टर के अंतरंग समय के व्हाट्सअप पर आदान प्रदान किये गये फोटो, वीडियो,आडियो,मैसेज को बतौर साक्ष्य पेश कर कलेक्टर के लिये मुसीबते खड़ी कर दी। जांजगीर पुलिस ने कलेक्टर जे पी पाठक के खिलाफ बलात्कार का मामला 376 का अपराध कायम कर जांच शुरू कर दी। वर्तमान जांजगीर कलेक्टर यशवंत कुमार ने इसकी निष्पक्ष जांच के आदेश दे दिये है।
इस मामले में जो लग रहा है कि कलेक्टर पाठक को जबरदस्त तरीके से फांसा गया है क्योंकि केवल नौकरी के लिये अपना शरीर सौप देना एक समझौता कहा जा सकता है। 15 मई के बाद इन दोनों के बीच कई दफे शारीरिक सम्बंध बनना महिला ने बतलाया है। जबकि बलात्कार होता तो केवल एक बार ही जोर जबरजस्ती से होता न कि बारम्बार होता। कलेक्टर को मोबाईल पर अपने शरीर के सीक्रेट पार्ट की फोटो भेजना,अश्लील हरकतें, वार्तालाप करना,दोनों की चैटिंग को संभालकर रखना कही न कही पूर्वनियोजित षडयंत्र भी हो सकता है। यदि मान लिया जाये कि कलेक्टर ने महिला से नौकरी देने के नाम पर संसर्ग किया और नौकरी न मिलने पर महिला ने बलात्कार की रिपोर्ट दर्ज करवा दी तो क्या यदि महिला को नौकरी दिला दी जाती तो शारीरिक मिलन की कहानी दफन हो जाती ?
बलात्कार का अर्थ है बगैर मर्जी के दबावपूर्ण तरीके से मिलन करना। परन्तु सहमति या स्वेछा से किया गया कार्य बलात्कार की श्रेणी में नही आता। और वह भी बारम्बार किया गया कृत्य समझौता के अतिरिक्त कुछ नही होता है। बरहाल जांजगीर कलेक्टर पूरी तरह से जाल में फंस चुके है देखना अब यह है कि कलेक्टर अपनी सफाई में क्या सबूत पेश करेंगे।