छत्तीसगढ़ प्रदेश में नंबर वन की तरफ बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है टूटी कलम वेब पोर्टल न्यूज़, जिसमें आप लोगों की सहभागिता है, टूटी कलम आप लोगों के सहयोग से विश्वसनीय, निष्पक्ष, निर्भीक,बेबाक पत्रकारिता के रूप में अपनी पहचान बना चुका है. हमारे समाचार चाटुकारिता,चापलूसी, कॉपी पेस्ट से काफी दूर होते है क्योंकि हम पेट भरने, उगाही करने, वसूली करने, धमकी चमकी देने, ब्लैकमेलिंग करने के लिए,पत्रकारिता नहीं करते हैं. हमारा मकसद सच्चाई को उजागर करना, जनहित में समाचार प्रसारित करना, समस्याओं की ओर सरकार एवं प्रशासन का ध्यान आकर्षण करवाना है.”परशुराम वंशज, रावण भक्त, चाणक्य से प्रेरित, माता सरस्वती का उपासक,कलम का मास्टरमाइंड “टिल्लू शर्मा “किसी के परिचय का मोहताज नहीं है. मैं जो भी लिखूंगा सच लिखूंगा सच के सिवा कुछ नहीं लिखूंगा.
🔱टिल्लू शर्मा ✒️टूटी कलम 🎤 न्यूज 🌍 रायगढ़ छत्तीसगढ़ 🏹… आधुनिकता की दौड़ में दुनिया बहुत ज्यादा आगे दौड़ रही है. मगर आधुनिकता की परिभाषा मार्डन युवतियां,महिलाएं है. जो स्वयं को मॉडर्न दिखाने के लिए भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति को भूलते जा रही है. जो लड़कों को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए दुपट्टा का उपयोग करना लगभग छोड़ चुकी है और भाई-बाप के सामने भी स्किन टाइट जींस, स्किन टाइट टी-शर्ट, पीछे से उठाकर प्रदर्शन करने में भी नहीं हिचकती है. कॉलेज, स्कूल, कोचिंग, के नाम पर घर से निकलती है और शहर की होटलो में,पार्कों में एवं सुनसान क्षेत्रों में अलग-अलग समय में अलग-अलग बॉयफ्रेंड के साथ देखी जा सकती है. महंगाई कहे या शौक कहे या आवश्यकताये कहें कि जिन्हें एक बॉयफ्रेंड के द्वारा पूरी नहीं की जा सकती. भाई बाप और बॉयफ्रेंड लड़कियों के द्वारा चलाए जा रहे महंगे मोबाइल फोन, ब्रांडेड कपड़े, जूते, चप्पल, मेकअप की सामग्री, ज्वेलरी,स्कूटी, पार्लरो में जाकर हेयर स्टेट,हेयरकट, फेशियल, दिनभर बाजार में घूमना, होटल रेस्टोरेंट में नाश्ता करना खाना खाना इन सब की पूर्ति कहां से होती है और कैसे होती है इस सब जानते हैं. मगर सब खामोश रहकर अपनी बला टालना चाहते हैं.
नाज है इस तरह की लड़कियों पर, इन्हें महिला सम्मान पुरस्कार देना चाहिए.. अक्सर देखा जाता है कि जब भी नारी सम्मान देने की बात होती है तो हाई सोसाइटी बिलॉन्ग करने वाली महिलाओं को सम्मानित किया जाता है जबकि सम्मान के असल हकदार चौकों में सड़क पर बैठकर लोगों की टूटी-फूटी चप्पले, जूते बनाती है और पोलिस करती है. इन्हें काम करने में कोई झिझक महसूस नहीं होती और ना ही यह लोग पैसे की खातिर गलत दिशा में जाते हैं. मोची का काम करने वाली यह लड़की प्रतिदिन सुबह अमलीभौंना से रामनिवास टॉकीज चौक तक पैदल आती है और दुकान लगाकर अपने परिवार का भरण पोषण करने लायक कमा लेती है, फिर हंसी खुशी शाम को पैदल ही वापस चली जाती है. इसके मन में और लड़कियों की तरह यदि आवश्यकताऐं जन्म ले लेती तो तो हमें इसे आदर्श मानकर सोशल मीडिया पर वायरल करने की जरूरत ही नहीं पड़ती